बैंकॉक। ढोल की थाप, बांसुरी के मधुर स्वरों के बीच तोपों से गोले दागकर थाईलैेंड ने अपने दिवंगत राजा को अंतिम विदाई दी। इससे पहले गुरुवार सुबह दिवंगत राजा भूमिबोल अदुल्यदेज के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरूहुई। करीब दो किलोमीटर लंबे मार्ग पर काले लिबास में खड़े लाखों लोगों ने अपने स्वर्गीय राजा को भरी आंखों से अंतिम बार देखा।
भूमिबोल का पार्थिव शरीर सुनहरे रंग के कपड़े में लपेटकर गाड़ी पर रखा गया था। इससे पहले अपने दिवंगत राजा को नजदीक से देखने की इच्छा लिए दसियों हजार लोग बुधवार शाम को ही बैंकॉक के ग्रांड पैलेस के बाहर आ जुटे थे। चटाई लेकर आए इन लोगों ने रात सड़क के किनारे काटी।
आंखों में आंसू लिए पिमसूपक सुथिन (42) ने कहा, “मैं उन्हें बहुत प्यार करता था। अपने राजा को हमेशा याद रखूंगा। अपने दुख को बता पाने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।” राजा भूमिबोल को लोग राजा राम (नौवें) के नाम से भी जानते थे। 13 अक्टूबर 2016 को 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था।
परंपराओं का पालन करते हुए एक साल बाद अब उनका अंतिम संस्कार हो रहा है। उन्होंने करीब सात दशक तक थाईलैेंड की राजगद्दी संभाली। जब देश में सरकार अस्थिर हुई, कोई असमंजस पैदा हुआ। भूमिबोल ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए देश को संकट से उबारा। विकास के कार्यों के लिए सरकारों को दिशा-निर्देश देते रहे।
महल परिसर में एक साल यथारूप में रखे रहे पार्थिव शरीर को बुधवार रात शैया से हटाया गया। इसके बाद गुरुवार को दरबार हाल से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई और राजा का पार्थिव शरीर महल से बाहर लाया गया। सबसे पहले लाल वस्त्रों में भूमिबोल के इकलौते पुत्र और नए राजा महा वाजीरालोंगकोर्न अपने बेटे और दो बेटियों के साथ बाहर आए।
वहां उन्होंने धार्मिक रीति-रिवाजों से अपने दिवंगत पिता का अभिवादन किया और शव यात्रा को लेकर आगे बढ़े। गुरुवार शाम को दिवंगत राजा की शाही श्मशान स्थल में अंत्येष्टि कर दी गई। सभी रीति-रिवाज इस तरह से निर्वाह किए गए कि मान्यताओं के अनुसार भूमिबोल स्वर्ग में पहुंचें। शाही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया इतनी भव्य थी कि इस पर करीब नौ करोड़ डॉलर (करीब छह सौ करोड़ रुपए) खर्च हुए।