नई दिल्ली। पूरे उत्तर भारत में इस वक्त हाड़ गला देने वाली ठंड पड़ रही है। बर्फीली हवाओं ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। इस बीच बुधवार सुबह तकरीबन साढ़े नौ बजे भारतीय उपमहाद्वीप का करीब दो हजार किलोमीटर लंबा इलाका घने कोहरे की परत से ढंका नजर आया।
मौसम वैज्ञानिकों का दावा है कि ये दुनिया की सबसे बड़ी कोहरे की चादर है, जो मध्य पाकिस्तान से शुरू होकर इंडो-गैंजेटिक प्लेन से गुजरकर त्रिपुरा तक फैल गई है। दिन के उजाले में छाए इस कोहरे की घनी चादर की तस्वीर इनसैट थ्री डी सैटेलाइट के जरिए ली गई थी। जिसमें कोहरने की ये घनी चादर पाकिस्तान, भारत, नेपाल और बांग्लादेश को अपने आगोश में लेते हुए नजर आ रही थी।
ऐसे हुई सबसे बड़े कोहरे की शुरुआत-
दुनिया की सबसे बड़ी कोहरे की चादर की शुरुआत क्रिसमस के दिन से पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार से हुई थी। इससे पहले भी इस तरह का बड़ा कोहरा इसी क्षेत्र से बनना शुरू हुआ था। इस बारे में आईजीआई एयरपोर्ट पर मौजूद मौसम विभाग के प्रमुख डॉक्टर आर के जेनामनी ने बताया कि- ‘आज तक पूरी दुनिया में इतने बड़े इलाके में कोहरे की चादर नहीं देखी गई है। चीन और अमेरिका के कैलिफोर्निया के मैदानी इलाकों में भी आज तक ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा की पूरी दुनिया में इंडो-गैंजेटिक रीजन का क्षेत्रफल सबसे ज्यादा है, जो तकरीबन दो हजार किमी तक फैला हुआ है, यहां पिछले आठ दिनों से घना कोहरा छाया हुआ है।’
क्रिसमस के मौके पर पूर्वी यूपी और बिहार को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद ये कोहरा धीरे-धीरे पश्चिम की तरफ बढ़ा और 31 दिसंबर आते-आते इसने दिल्ली को अपने आगोश में ले लिया। दो जनवरी तक ये पंजाब पर छा गया और फिर पाकिस्तान तक फैल गया। इससे सड़क परिवहन के अलावा हवाई और रेल यातायात भी प्रभावित हुआ।
सैटेलाइट से मिली तस्वीर से कोहरे का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि कई स्थानों पर ये कोहरा सतह पर नहीं बल्कि कई सौ मीटर हवा में फैला हुआ था।
सबसे ज्यादा प्रभावित रहे 15 एयरपोर्ट –
आईएमडी के मुताबिक इस बुधवार को देश के 15 एयरपोर्ट पर कोहरे का ज्यादा असर नजर आया। बुधवार सुबह साढ़े 6 बजे से साढ़े नौ बजे तक कोहरे की घनी चादर से ये एयरपोर्ट ढंके रहे।इसमें अगरतला, पटना, गया, गुवाहाटी, गोरखपुर, इलाहाबाद, आगरा, लखनऊ शामिल हैं। जिन एयरपोर्ट पर कोहरे का सबसे ज्यादा असर नजर आया है, उसमें अमृतसर सबसे ऊपर रहा। यहां बुधवार को 18 घंटे तक दृश्यता सौ मीटर से कम रही।