कोलंबो। भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संपर्क मजबूत करने के मकसद से स्थापित एक संयुक्त आयोग ने क्षेत्रीय व्यापार एवं पर्यटन को बढ़ावा देने तथा लोगों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों के बीच नौका सेवाएं बहाल करने पर ”सार्थक वार्ता” की है।
समुद्र के रास्ते यात्रियों के आवागमन संबंधी समझौता पत्र (एमओयू) के तहत स्थापित भारत-श्रीलंका संयुक्त समिति ने पिछले सप्ताह डिजिटल माध्यम से एक बैठक की।
यहां भारतीय उच्चायोग ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, ”सार्थक बातचीत में दोनों देशों के बीच पारस्परिक रूप से सहमत बिंदुओं को जोड़ने वाली नौका सेवाओं को बहाल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।”
इसमें बताया गया कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि नौका सेवाओं की बहाली से क्षेत्रीय व्यापार एवं पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लोगों से बीच आपसी संबंध मजबूत होंगे।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे इस सप्ताह के अंत में भारत की यात्रा करने वाले हैं।
इस बैठक में भारत का नेतृत्व बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राजेश कुमार सिन्हा और श्रीलंका का नेतृत्व श्रीलंकाई सरकार के बंदरगाह, जहाजरानी और विमानन मंत्रालय के सचिव के डी एस रुवनचंद्रा ने किया।
बयान में बताया गया कि संयुक्त समिति ने निकट भविष्य में नौका सेवाओं के संचालन के मकसद से आपसी सहयोग के लिए कई क्षेत्रों की पहचान की और आपसी समझ के आधार पर आगे कदम उठाने की इच्छा जताई।
भारत और श्रीलंका सरकार ने समुद्री मार्ग से यात्री परिवहन पर द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन के प्रावधानों के अनुसार संयुक्त समिति का हाल में पुनर्गठन किया था। इस समझौता पत्र पर 2011 में हस्ताक्षर किए गए थे।
नौका सेवाएं 80 के दशक में निलंबित कर दी गई थीं। दोनों देशों के बीच नौका सेवा अप्रैल में शुरू होनी थी, लेकिन भारत ने नौका सेवा के लिए चुने गए बंदरगाह को बदल दिया, जिसके कारण इसमें विलंब हो गया।