भारत विरोधी व्याख्यान के लिए प्रसार भारती के प्रमुख ने पत्रिका के संपादक की खिंचाई की

asiakhabar.com | July 13, 2019 | 5:51 pm IST
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लंदन। लंदन में ग्लोबल कॉन्फेरेंस फॉर मीडिया फ्रीडम में ‘धर्म और मीडिया’ सत्र के
दौरान भारत विरोधी व्याख्यान देने पर प्रसार भारती के अध्यक्ष ए. सूर्यप्रकाश ने भारत की एक पत्रिका
के संपादक की जमकर खिंचाई की। उन्होंने कहा कि संपादक के कई बयान ‘‘गलत’’ और ‘‘अधूरे’’ थे।
‘कारवां’ पत्रिका के कार्यकारी संपादक विनोद के. जोसफ ने बृहस्पतिवार को सत्र के दौरान दावा किया कि
भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है। अपने तर्क के समर्थन में उन्होंने
अल्पसंख्यकों पर हमले के मीडिया कवरेज के क्लिप दिखाए। व्याख्यान के दौरान जोस ने दावा किया कि
‘‘भारत में सैकड़ों ईसाइयों की हत्या कर दी गई’’ और ‘‘1984 में सिखों के नरसंहार को आरएसएस ने
अंजाम दिया।’’ उनके व्याख्यान के बाद जब वहां मौजूद लोगों के बीच संवाद सत्र शुरू हुआ तो प्रकाश
खड़े हुए और जोस के व्याख्यान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ‘कारवां’ के संपादक के कई बयान
‘‘गलत’’ थे और श्रोताओं को व्याख्यान की ‘‘अनियमितताओं’’ से अवगत कराया। प्रकाश ने कहा कि
भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है बल्कि यह काफी जीवंत भी है। यह दुनिया का सर्वाधिक
विविध समाज भी है। भारत में 90 करोड़ मतदाता हैं जिनमें से 60 करोड़ लोगों ने हाल में संपन्न
संसदीय चुनावों में मतदान किया था। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर श्रोताओं ने जोस पर भरोसा किया तो
दुनिया भर में लोकतंत्र संदेह के घेरे में होगा। प्रसार भारती के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि दुनिया के
कुछ कार्यकर्ताओं को हाल में भारत के मतदाताओं के चुनावी निर्णय रास नहीं आए और अपनी बातों के
लिए उन्होंने इस तरह के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया। सम्मेलन का आयोजन संयुक्त रूप से ब्रिटेन
और कनाडा की सरकारों ने किया। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के भारत विरोधी व्याख्यान के लिए आयोजकों
द्वारा प्लेटफॉर्म मुहैया कराए जाने से मैं दुखी हूं। मेरा मानना है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को
नीचा दिखाकर कोई लोकतंत्र के हितों का ख्याल रख रहा है।’’ प्रकाश ने कहा कि कुछ समय पहले
अमेरिका के कुछ हिस्से में नस्लभेदी दंगे हुए लेकिन उस उदाहरण से अमेरिका को लोकतंत्र विरोधी या
नस्लवादी देश नहीं करार दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता केवल सामाजिक
दायरे में सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में संघीय और राज्य स्तर पर 20 से अधिक राजनीतिक

दल शासन करते हैं, इसलिए यह कहना सरासर गलत है कि केवल एक पार्टी देश चला रही है।’’ उन्होंने
कहा कि भारत में स्वतंत्र और जिम्मेदार मीडिया है जो सामाजिक तनाव और अल्पसंख्यकों पर हमले की
खबरें देती हैं और दुर्भाग्य है कि व्याख्यान देने वाले ने इन खबरों का इस्तेमाल भारत के स्वतंत्र और
सजग मीडिया के खिलाफ किया। सत्र की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रमंडल और संयुक्त राष्ट्र के सचिव
विम्बलडन के लॉर्ड अहमद ने तुरंत प्रकाश की टिप्पणियों का संज्ञान लिया और कहा कि वह भारत के
लोकतंत्र का काफी सम्मान करते हैं और जातीय एवं अन्य संघर्षों पर चर्चा तो की जा सकती है लेकिन
लोकतांत्रिक देश में भारत की मजबूती पर सवाल नहीं खड़े किए जा सकते हैं।


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