संयुक्त राष्ट्र। भारत ने आतंकवाद पर परोक्ष रूप से चीन और पाकिस्तान को आड़े हाथ लिया। उसने कहा कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के कुछ सदस्य देश आतंकवाद के खतरे को स्पष्ट रूप से समझने में विफल रहे हैं। वे संकीर्ण राजनीतिक और रणनीतिक मतलब के चलते ऐसा कर रहे हैं। भारत ने जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध का विरोध करने पर परोक्ष तौर पर चीन की आलोचना की।
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि दुनिया भर में आतंकी नेटवर्क से अंतरराष्ट्रीय शांति को खतरा बढ़ गया है। वे द्वेषपूर्ण विचारों को फैलाने, हथियार खरीदने और आतंकियों की भर्ती का काम करते हैं। अकबरुद्दीन बुधवार को सुरक्षा परिषद में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के समक्ष चुनौतियों पर आयोजित खुली बहस में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने में सहयोग से परिषद बच रहा है। आतंकी और आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने में वह ठोस प्रगति नहीं कर पाया है।
गौरतलब है कि पिछले महीने चीन ने मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया था। अकबरुद्दीन ने कहा कि आतंकवाद साझा चुनौती है जिस पर परिषद को ज्यादा ध्यान देना चाहिए। उन्होंने मौजूदा जटिल चुनौतियों से निपटने में परिषद की वैधानिकता और साख पर भी सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि नई चुनौतियों को पुराने तरीके से हल नहीं किया जा सकता। इस तरह उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत की। अकबरुद्दीन ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के पाकिस्तान में चुनाव लड़ने की घोषणा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कुछ देश हैं जो यूएन से प्रतिबंधित आतंकी को राजनीतिक प्रक्रिया की मुख्यधारा में लाना चाहते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय कानून का पूरी तरह से उल्लंघन है।