संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने
कहा है कि बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध इतने अच्छे पहले कभी नहीं रहे। उन्होंने कहा कि
बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान का मानना था कि पड़ोसियों के बीच संबंध इतने
अच्छे होने चाहिए कि वे मिसाल बनें और भारत एवं बांग्लादेश के मौजूदा संबंध मुजीबुर्रहमान की इसी
विरासत एवं विश्वास को श्रद्धांजलि हैं। अकबरुद्दीन ने बांग्लादेश के संस्थापक नेता की 44वीं पुण्यतिथि
पर बांग्लादेश के स्थायी मिशन द्वारा पिछले सप्ताह आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘बांग्लादेश के
साथ हमारे संबंध शायद पहले कभी इतने अच्छे नहीं रहे। यह बंगबंधु की विरासत को श्रद्धांजलि है।’’
अकबरुद्दीन ने ‘रिमेम्बरिंग बंगबंधु-ए वॉयस फॉर द ऑपरेस्ड’ कार्यक्रम में बताया कि मुजीबुर्रहमान की
बेटी एवं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनके इस विचार को अच्छे से आत्मसात किया हैं कि
‘‘पड़ोसियों के बीच संबंध मिसाल होने चाहिए और हम खुश हैं कि हमारे संबंध और मजबूत हो रहे हैं’’।
उन्होंने कहा कि बंगबंधु की यात्रा लोकतंत्र में उनके अटूट विश्वास, सामाजिक न्याय एवं सांस्कृतिक
समावेशिता और पहचान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिसके कारण बांग्लादेश आजाद हुआ।
‘‘संयुक्त राष्ट्र में हम आज इन सभी मूल्यों को संजोते और उन्हें आगे बढ़ाते हैं’’। उन्होंने कहा कि भारत
और बांग्लादेश के संबंध कई मायने में विशेष हैं। दोनों देशों की सांस्कृतिक एवं भाषायी विरासत साझी
है। अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने
लिखे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ बांग्लादेश का ‘आमार सोनार बांग्ला’ और भारत का ‘जन गण मन’ दर्शाते हैं कि
दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासत समान है।’’ अकबरुद्दीन ने कहा कि बंगबंधु के निधन के बाद
बांग्लादेश मुश्किल हालात में घिर गया था, लेकिन आज बांग्लादेश इस बात का उदाहरण है कि किसी
देश को विकास की ओर कैसे बढ़ना चाहिए।