राजीव गोयल
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि उत्तर
कोरिया में मानवाधिकारों के हनन की भयावह तस्वीर पेश करनी वाली एक रिपोर्ट बताती है कि जेल से
भागने की कोशिश करने वाले कैदियों को सरेआम फांसी दी जा रही है और हिरासत में लिए गए लोगों के
साथ यौन हिंसा की जाती है तथा उन्होंने धातु से बनी छड़ों एवं डंडे से बुरी तरह पीटा जाता है।
महासभा में रखी गई रिपोर्ट में कहा गया कि गार्ड बंदियों के कपड़े उतरवाते हैं और पैसों या छिपाए गए
सामान का पता लगाने के लिए बार-बार उनकी तलाशी ली जाती है। इसमें बताया गया कि कई बार
उनसे एक महीने या उससे भी ज्यादा वक्त तक पूछताछ की जाती है और उनको जिन हिरासत कक्षों में
रखा जाता है वे जरूरत से ज्यादा भरे होते हैं जिससे कि वे लेट तक नहीं सकते।
महासचिव ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने उन उत्तर कोरियाई नागरिकों की
आपबीती का विश्लेषण किया है जिन्हें हिरासत में रखा गया। इनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल थी जो
शुरुआत में चीन चली गईं थी। उन्होंने कहा कि सितंबर से लेकर मई के बीच 330 से अधिक लोगों का
साक्षात्कार किया गया जो देश छोड़ चुके हैं। गुतारेस ने कहा कि पूर्व बंदियों ने सुरक्षा अधिकारियों पर
“जीवन, आजादी एवं व्यक्ति की सुरक्षा के अधिकारों का घोर उल्लंघन” किए जाने का आरोप लगाया।
उत्तर कोरिया बार-बार कहता रहा है कि वह मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं करता। जिनेवा में देश के
राजदूत हान त्ये सोंग ने कहा था कि सरकार ने लोगों के हित के लिए हर संभव प्रयास किए हैं और
मानवाधिकारों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन असहनीय है। लेकिन वह मानवाधिकार अधिकारियों को
वीजा देने से इनकार करता रहा है। गुतारेस के मुताबिक बंदियों ने बेहद अस्वास्थ्यकर स्थितियों और
अपर्याप्त भोजन की बात कही जिससे कुपोषण, बीमारी और कई बार हिरासत में रखे गए लोगों की मौत
तक हुई।मानवाधिकार कार्यालय को प्राप्त हुई रिपोर्ट में महिला बंदियों के खिलाफ अधिकारियों द्वारा यौन
हिंसा किए जाने के मामले भी सामने आए हैं।