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वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए परमाणु हथियारों को लॉन्च करना बटन दबाने जितना आसान नहीं है। इसके लिए राष्ट्रपति के पास एक कोड होता है, जिसे वह हर समय अपने पास रखते हैं। मगर, बिल क्लिंटन के समय में एक बार यह कोड खो गया था और कई महीनों तक इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जब इसके बारे में जानकारी हुई, तो हड़कंप मच गया और आनन-फानन में इस प्रक्रिया को ही बदल दिया गया।
अक्टूबर 1997 से सितंबर 2001 तक ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन रहे जनरल ह्यू शेल्टन के अनुसार, न्यूक्लियर लॉन्च प्रक्रिया में कई फालतू कदम चौंकाने वाले हैं। सभी एक महत्वपूर्ण तत्व पर निर्भर हैं, जिसके बिना कोई लॉन्च नहीं किया जा सकता है। यह बात उन्होंने 2010 में अपनी आत्मकथा “विथआउट हेजिटेशनः ओडिसी ऑफ ए अमेरिकन वॉरियर” में लिखी।
राष्ट्रपति के ऑथेराइजेशन कोड के बारे में माना जाता है कि वे हर समय उनके पास रहने चाहिए, जो न्यूक्लियर लॉन्च के लिए जरूरी हैं। ये कोड एक कार्ड में लिखे होते हैं, जिन्हें “बिस्कुट” कहा जाता है और उन्हें “फुटबॉल” में रखा जाता है। यह फुटबॉल एक ब्रीफकेस है, जिसे आधिकारिक तौर पर “राष्ट्रपति का एमरजेंसी सैचल” कहा जाता है।
हालांकि, साल 2000 के आस-पास, पेंटागन के तहत आने वाले एक विभाग का एक सदस्य को न्यूक्लियर कोड देखने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए भेजा गया कि वे सही थे। यह सदस्य न्यूक्लियर प्रॉसेस के सभी कार्रवाई के लिए जिम्मेदार था।
शेल्टन के अनुसार, यह आवश्यक प्रक्रिया हर 30 दिन में होती थी और कोड का सेट हर चार महीनों में पूरी तरह से बदल दिया जाता था। उस आधिकारिक को राष्ट्रपति के एक सहयोगी ने बताया कि राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के पास कोड है, लेकिन वह एक महत्वपूर्ण बैठक में हैं और उन्हें परेशान नहीं किया जा सकता।सहयोगी ने आश्वासन दिया कि क्लिंटन ने कोड को गंभीरता से लेते हैं और उन्हें अपने करीब रखते हैं। आधिकारी निराश हो गया, लेकिन उसने इस बहाने को सही मान लिया और वहां से चला गया। जब अगले निरीक्षण अगले महीने हुआ तो पहली बार आया हुआ अधिकारी छुट्टी पर था। लिहाजा दूसरे अधिकारी को न्यूक्लियर कोड्स देखने के लिए व्हाइट हाउस भेजा गया।
नए अधिकारी से भी राष्ट्रपति के सहयोगी ने वही बहाना किया कि राष्ट्रपति बहुत व्यस्त हैं, लेकिन वह कोड को बहुत गंभीरता से लेते हैं और कोड्स राष्ट्रपति के पास ही रहते हैं। शेल्टन लिखते हैं कि मुझे पूरा यकीन है कि इस पूरी कॉमेडी की जानकारी राष्ट्रपति क्लिंटन को नहीं होगी। चार महीनों के बाद जब न्यूक्लियर कोड्स को बदलने का समय आया, तो पता चला कि कोड्स खो गए थे। वह राष्ट्रपति के पास कभी थे ही नहीं। माना जाता है कि कोड्स राष्ट्रपति के उसी सहयोगी के पास रहे होंगे क्योंकि वह इसके लिए जिम्मेदार था।
मामले की जानकारी मिलते ही शेल्टन और तत्कालीन रक्षा मंत्री विलियम कोहेन को सूचना दी गई। इसके साथ ही कोड को बदलकर लापता कोडों की समस्या का समाधान भी तुरंत कर दिया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि रक्षा विभाग का आधिकारी जब कोड देखने के लिए व्हाइट हाउस का दौरा करेगा, तो जब तक वह कोड को खुद नहीं देख लेगा, वह इंतजार करेगा।
शेल्टन और कोहेन को डर था कि कहीं यह खबर मीडिया तक नहीं पहुंच जाए क्योंकि इससे शर्मनाक स्थिति खड़ी हो सकती थी। मगर, लापता कोड के बारे में मीडिया को तब तक जानकारी नहीं मिली, जब तक शेल्टन ने अपने 2010 की किताब में इसके बारे में नहीं लिखा था।