बंधक बनाने वालों के छक्के छुड़ाने वाली सुंदरी बनीं ‘मिस यूनिवर्स’

asiakhabar.com | November 28, 2017 | 5:13 pm IST

लास वेगास। महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने वालीं दक्षिण अफ्रीका की डेमी लीग नेल-पीटर्स ने रविवार को यहां वर्ष 2017 का मिस यूनिवर्स खिताब अपने नाम किया। भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं श्रद्धा शशिधर प्रतियोगिता में अपना प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहीं। वह अंतिम सोलह प्रतिभागियों में भी जगह नहीं बना सकीं।

मानुषी छिल्लर के मिस वर्ल्ड बनने के बाद श्रद्धा से खिताब जीतने की उम्मीदें बढ़ गई थीं। दक्षिण अफ्रीका के पश्चिमी केप प्रांत की रहने वालीं 22 वर्षीय डेमी को पिछले वर्ष की मिस यूनिवर्स फ्रांस की आइरिस मितेनेयर ने ताज पहनाया। मिस कोलंबिया लौरा गोंजाल्वेज (22) दूसरे और मिस जमैका डेविना बेनेट (21) तीसरे स्थान पर रहीं।

वेनेजुएला और थाईलैंड की सुंदरियां भी अंतिम पांच में पहुंची थीं। जान बचाने के लिए घूंसा माराडेमी ने हाल में नॉर्थ-वेस्ट यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की है। मिस दक्षिण अफ्रीका का खिताब जीतने के बाद जून में डेमी को बंदूक की नोक पर उनकी ही कार में बंधक बनाया गया था। उन्होंने बताया, “मैंने चार हाइजैकरों को अपनी ओर आते देखा। उन्होंने मेरे ऊपर तीन बंदूकें तान दी थीं। मैं कार के बाहर आई तो एक ने मुझे कार में वापस धक्का मार दिया। जान बचाने के लिए मैंने एक को गले में घूंसा मार दिया। कार से बाहर निकलकर मैं तेजी से ट्रैफिक की ओर भागने लगी।” बाद में एक शख्स ने डेमी मदद की और उन्हें सुरक्षित घर तक पहुंचाया।

गलत विजेता का नाम घोषित करने वाले हार्वे मौजूद थे

अमेरिका के लास वेगास शहर में हुई 66 साल पुरानी प्रतियोगिता में दुनियाभर की 92 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। कॉमेडियन स्टीव हार्वे प्रतियोगिता के होस्ट थे। 2015 में हार्वे गलत विजेता का नाम घोषित कर चर्चा में रहे थे। इन सवालों पर डेमी ने किया प्रभावित-वह अपने किस गुण पर सबसे अधिक गर्व करती हैं और अपनी इस खूबी को वह मिस यूनिवर्स के रूप में किस तरह प्रयोग करेंगी?

डेमी का जवाब था, “मिस यूनिवर्स की तरह आपको खुद के व्यक्तित्व पर विश्वास होना चाहिए। मिस यूनिवर्स वह महिला है जिसने अपने सभी डर पर काबू पा लिया हो और वह दुनियाभर की अन्य सभी महिलाओं को भी उनके डर का सामना करने की प्रेरणा दे।”

-कार्यस्थल पर महिलाओं को कौन-सी सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है? इस पर डेमी ने कहा कि कुछ दफ्तरों में समान काम करने के बावजूद महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 75 फीसदी ही वेतन मिलता है। वह पुरुषों के समान घंटे काम करती हैं। यह सही नहीं है। दुनियाभर में महिलाओं को समान अधिकार और समान वेतन मिलना चाहिए।


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