वॉशिंगटन। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अपने विशेष दूत द्वारावॉशिंगटन, 05 सितंबर (वेबवार्ता)। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अपने विशेष दूत द्वारातालिबान के साथ किए गए शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है क्योंकि उसमें अल-कायदा के खिलाफ लड़ाई के लिए अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की मौजूदगी या फिर काबुल मेंअमेरिकी समर्थित सरकार के संबंध में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। टाइम पत्रिका ने बुधवार को एक खबर मेंलिखा है कि पोम्पिओ ने अफगानिस्तान पर अमेरिका के विशेष दूत जलमै खलीलजाद द्वारा तालिबानके साथ नौ दौर की वार्ता के बाद किए समझौते पर हस्ताक्षर से इंकार कर दिया है। अफगानिस्तान,यूरोपीय संघ और ट्रंप प्रशासन के अनाम अधिकारियों के हवाले से लिखी गयी इस खबर के अनुसार,समझौता अल-कायदा के खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिकी बलों की अफगानिस्तान में मौजूदगी, काबुल मेंअमेरिका समर्थित सरकार के स्थाईत्व और यहां तक कि अफगानिस्तान में लड़ाई के अंत तक की गारंटीनहीं देता है। खलीलजाद के साथ समझौते के दौरान मौजूद रहे एक अफगान अधिकारी का कहना है ‘‘कोई भी पुख्ता तरीके से बात नहीं कर रहा है। कोई भी नहीं।’’ उनका कहना है ‘‘सब कुछ अब आशा परआधारित है। कहीं कोई विश्वास नहीं है। विश्वास का तो कोई इतिहास भी नहीं है। तालिबान की ओर सेईमानदारी और भरोसे का कोई इतिहास ही नहीं है।’’ टाइम पत्रिका के अनुसार, तालबिान ने पोम्पियो से‘इस्लामिक एमाइरेट्स ऑफ अफगानिस्तान’ के साथ हस्ताक्षर करने को कहा है। ‘इस्लामिक एमाइरेट्स
ऑफ अफगानिस्तान’ 1996 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में स्थापित सरकार का आधिकारिक नामहै।