एजेंसी
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नीत मंत्रिमंडल देश में पत्रकारों और
मीडिया पर घातक हमले के मुद्दे पर अपनी प्रथम 62 बैठकों में से, किसी में भी चर्चा करने में नाकाम रहा।
मीडिया में शनिवार को आई एक खबर में यह कहा गया है। ये बैठकें एक सितंबर 2018 से 30 जनवरी 2020
के बीच हुई थी। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, स्थानीय मीडिया एवं विकास क्षेत्र निगरानी संस्था फ्रीडम
नेटवर्क द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि उसे सरकार से इस बारे में यह जानकारी मिली।
दरअसल, उसने एक अनुरोध पत्र देकर यह जानना चाहा था कि क्या मंत्रिमंडल ने पत्रकारों पर हमले के मुद्दे पर
कभी अपनी बैठकों में चर्चा की? खबर में कहा गया है, ‘‘पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को निशाना बना कर कई
हमले किये जाने के बावजूद संघीय मंत्रिमंडल ने अपनी प्रथम 62 बैठकों में यह मुद्दा कभी नहीं उठाया। ये बैठकें
एक सितंबर 2018 से 30 जनवरी 2020 के बीच हुई थी। ’’ मीडिया निगरानी संस्था ने कहा कि इस अवधि के
दौरान सात पत्रकारों और एक ब्लॉगर की हत्या हुई, छह मीडिया कर्मियों का अपहरण हुआ और 15 को विभिन्न
कानूनी मामलों में नामजद किया गया। मंत्रिमंडल प्रभाग के खंड अधिकारी जमील अहमद ने ‘फ्रीडम नेटवर्क’ को
संघीय सूचना आयोग के जरिये बताया कि इन बैठकों में पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा एजेंडे में नहीं था। मीडिया
निगरानी संस्था के कार्यकारी निदेशक इकबाल खट्टक ने प्रधानमंत्री इमरान खान से पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित
करने के लिये एक विधेयक लाने के अपने वादे को फौरन पूरा करने का अनुरोध किया। प्रेस बयान में यह जिक्र
किया गया है कि इस विधेयक का मसौदा सरकार तैयार कर चुकी है लेकिन यह लंबे समय से लंबित है।