पाक की खुली पोल, बैन के बाद भी बेधड़क चल रहे हाफिज सईद के दफ्तर

asiakhabar.com | February 24, 2018 | 5:11 pm IST
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लाहौर/ रावलपिंडी। आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत(FIF) को बैन करने का पाकिस्तान सरकार का दावा पूरी तरह खोखला नजर आ रहा है। क्योंकि पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में इस संगठन से जुड़े तमाम एनजीओ और ऑफिस खुलेआम चल रहे हैं।

जमात-उद-दावा के दफ्तर खुलेआम चल रहे-

जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत जैसे संगठन के जरिए आतंकी हाफिज सईद भले ही चैरिटी करने का दावा करता है, मगर अमेरिका इसे आतंकी संगठन मानता है। इन संगठनों के तहत तीन सौ मदरसे, स्कूल, अस्पताल, पब्लिशिंग हाउस और एंबुलेंस सेवा पूरे पाकिस्तान और पीओके में खुलेआम चलाई जा रही है।

संयुक्त राष्ट्र ने भी हाफिज सईद को आतंकी करार दिया हुआ है और उस अमेरिका ने 2012 से 10 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा है।

JUD ने पाक सरकार के बैन को गलत बताया-

तमाम प्रतिबंधों के बावजूद हाफिद सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है और उसके सभी कार्यालय बिना किसी परेशानी के चल रहे हैं। इससे जुडे वीडियो सबुत सामने आए हैं, जिसमें बहावलपुर, रावलपिंडी, लाहौर, शेखपुरा, मुल्तान, पेशावर, हैदराबाद, सुक्कुर और मुजफराबाद में JUD, FIF के तमाम कार्यालय बैन के बाद भी चल रहे हैं।

जमात-उद-दावा के बहावलपुर कार्यालय में काम कर रहे अबू हुरैरा सरकार के इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनके मुताबिक हाफिज सईद गरीबों, बीमारों और बच्चों की तालीम के लिए ये संगठन चला रहे हैं। ऐसे में सरकार का बैन लगाना गलत है।

दिखावे की कार्रवाई के तहत JUD के बोर्ड हटाए-

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जमात-उद-दावा पर बैन लगाने के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने JUD द्वारा चलाए जा रहे मदरसों, स्कूल और दूसरे संस्थानों में सरकारी नियंत्रण के बोर्ड लगा दिए हैं। ऐसे में जमात-उद-दावा से जुड़े लोग इसे विदेशी दबाव में लिया गया फैसला करार दे रहे हैं। अबू हुरैरा के मुताबिक, “जमात-उद-दावा गरीबों की मदद कर रहा है। किसी भी प्राकृतिक आपदा में इसी संगठन के लोग सबसे पहले मदद के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में इस संगठन को सरकारी नियंत्रण में लेना गलत है, क्योंकि सरकार जब अपने स्कूल, अस्पताल ठीक से नहीं चला पा ही है, तो जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत जैसे संगठन कैसे चलाएगी।”

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जमात-उद-दावा पर बैन लगाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने दिखावे की कार्ऱवाई के तहत कई संस्थानों के बाहर लगे JUD और FIF के बोर्ड हटा दिए हैं। बहावलपुर की अक्सा मस्जिद के बाहर पंजाब सरकार ने अपने नियंत्रण का बोर्ड लगा दिया है। वहीं फलाह-ए-इंसानियत द्वारा रावलपिंडी के चकरा रोड इलाके में चलाई जा रही डिस्पेंसरी को पंजाब सरकार ने स्वास्थ्य विभाग ने अपने अधीन ले लिया है। मगर हकीकत में केवल दिखावे के लिए ये काम किया है।

सरकार ने बाहर से ही इसे अपने अधीन में लिया है। अंदर जमात-उद-दावा से जुड़े लोग बेरोक-टोक अपना काम कर रहे हैं। ये अलग बात है कि इनकी संख्या पहले के मुकाबले कम हो गई है।

सिंध और बलूचिस्तान में दबाव में हुई कार्रवाई-

सिंध और बलूचिस्तान में लोगों के दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार को जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठन के खिलाफ कड़े कदम उठाने पड़े हैं। शेखपुरा के अल अजीज अस्पताल का नाम बदलकर सरकारी अल अजीज अस्पताल कर दिया गया है। वहीं अल दावा इस्लामिक यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर सरकारी इस्मालिक यूनिवर्सिटी कर दिया गया है। इसके बावजूद ये संगठन पाकिस्तान में अपने दफ्तर खोलकर बैठा है।

पहले से ही कई तरह के प्रतिबंध झेल रहे पाकिस्तान के लिए शुक्रवार को एक और बुरी खबर आई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली संस्था फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स(FATF) ने इस्लामाबाद को तीन साल बाद टेरर फंडिंग की सूची वाले देशों में डाल दिया है।


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