वॉशिंगटन। अमेरिका के इंटेलीजेंस चीफ डेनियल कोट्स ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों से भारत और अफगानिस्तान में खतरा बना रहेगा। उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान में इस साल जुलाई के मध्य में राष्ट्रपति चुनाव में तालिबान दक्षिण एशिया में व्यापक हमले कर सकता है। इसका कारण पाकिस्तान की ओर से तालिबानी आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किया जाना है। डेनियल ने मंगलवार को सीनेट की खुफिया मामलों की चयन समिति के सम्मुख वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पाकिस्तान सरकार आतंकवादी निरोधक सहयोग के प्रति संकीर्ण रवैया अपना रही है। इस नीति के तहत पाकिस्तान सरकार तभी कार्रवाई करती है जब पाकिस्तान को खतरा होता है। डेनियल कोट्स ने कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों का उद्देश्य भारत, अफगानिस्तान और अमेरिकी हितों के खिलाफ हमलों की योजना बनाना और उन्हें अंजाम देने के लिए कदम उठाना है, ताकि पाकिस्तान में वे अपने पनाहगाहों का लाभ उठाना जारी रख सकें। इस समिति के सम्मुख डेनियल कोट्स के अलावा भारत की यात्रा कर लौटी सीआईए की निदेशक जीना हैस्पल, एफबीआई निदेशक रॉबर्ट एशली शामिल थीं। दक्षिण एशिया में आतंकवाद पर की गई यह रिपोर्ट अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों द्वारा 2019 में विश्वव्यापी खतरे पर आंकलन का एक हिस्सा था, जिसे सीनेट कमेटी के सम्मुख प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान में परमाणु कार्यक्रमों के अनवरत विस्तार से दक्षिण एशिया में खतरे की आशंका बढ़ गई है। भारत में लोकसभा के चुनाव के मद्देनजर कोट्स ने कहा कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा की प्रबल आशंका है। उनका कहना था कि सत्तारूढ़ बीजेपी मई में होने वाले चुनाव से पहले हिंदू राष्ट्रवादी विषय पर जोर देती आ रही है। भारत और चीन के रिश्तों पर टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों के बीच इस साल तनावपूर्ण संबंध हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सभी संभव प्रयासों के बावजूद आपसी संबंध तनावपूर्ण रहेंगे। रिपोर्ट में मध्य एशिया के बारे में कहा गया है कि ऐसी संभावना नजर नहीं आती कि ईरान आणविक हथियार तैयार कर सकता है। उत्तरी कोरिया के बारे में कहा गया है कि वह शायद ही अपने आणविक हथियारों की तिलांजलि देना चाहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह कहना सर्वथा गलत है कि इस्लामिक स्टेट का सफाया हो चुका है। वह इराक और सीरिया में सक्रिय हैं। यह एक वार्षिक रिपोर्ट है, जो एकमुश्त विश्वव्यापी खतरों के बारे में खुलासा करती है।