वाशिंगटन। अमेरिका, भारत सहित अपने पड़ोसियों को "डराने" के चीन के प्रयास से
चिंतित है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका का मानना है कि क्षेत्र और दुनिया भर में चीन का व्यवहार
"अस्थिर करने वाला" हो सकता है। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका अपने साझेदारों के साथ खड़ा
रहना जारी रखेगा।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में 20 महीने से चल रहे विवाद पर भारत
और चीन के बीच सैन्य स्तर की 14वें दौर की वार्ता से पहले आई है।
भारत के साथ लगने वाली सीमा पर चीन के आक्रामक व्यवहार के बारे में और चीन के साथ अमेरिका की बातचीत
पर बीजिंग को कोई संदेश भेजने के दौरान इस विषय को उठाया गया या नहीं, यह पूछे जाने पर साकी ने सोमवार
को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत-चीन सीमा पर अमेरिका स्थिति की बारीकी से
निगरानी कर रहा है।
उन्होंने कहा, “हम इन सीमा विवादों का बातचीत के जरिए और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना जारी रखते
हैं।”
साकी ने कहा, “हम बहुत स्पष्ट हैं कि हम इस क्षेत्र और दुनिया भर में चीन के व्यवहार को कैसे देखते हैं। हमें
विश्वास है कि यह अस्थिर करने वाला हो सकता है। और हम अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के जनवादी
गणराज्य चीन के प्रयास से चिंतित हैं।”
उन्होंने कहा, “हम इस विषय पर अपने साझेदारों के साथ खड़े रहना जारी रखेंगे।”
नयी दिल्ली में सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि भारत और चीन के बीच ‘वरिष्ठ सर्वोच्च सैन्य कमांडर स्तर’
की वार्ता 12 जनवरी को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी तरफ चुशुल-मोल्दो बैठक बिंदु पर होगी।
सूत्रों ने कहा कि भारत पूर्वी लद्दाख में शेष टकराव बिंदुओं में मुद्दों को हल करने के लिए चीन के साथ
"रचनात्मक" बातचीत की उम्मीद कर रहा है। उन्होंने कहा कि वार्ता में मुख्य मुद्दा हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में सैनिकों का
पीछे हटना होगा।
समझा जाता है कि भारतीय पक्ष देपसांग बुलगे और डेमचोक में मुद्दों के समाधान सहित सभी शेष टकराव बिंदुओं
से जल्द से जल्द सैनिकों की वापसी के लिए दबाव डालेगा।13वें दौर की वार्ता 10 अक्टूबर, 2021 को हुई थी और उसमें कोई प्रगति नहीं हुई थी।