नयी दिल्ली। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश दक्षेस को पुनर्जीवित करने के साथ इसके स्थगित सम्मेलन के जल्द-से-जल्द आयोजन की इच्छा रखता है। उन्होंने कहा कि दक्षेस और बिम्सटेक एक दूसरे के विकल्प नहीं हैं बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं। तीन दिवसीय दौरे पर यहां आए प्रचंड ने कहा कि नेपाल की राजशाही पहले चीन और भारत ‘कार्ड’ खेला करती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है और उनका देश दोनों राष्ट्रों के साथ घनिष्ठ संबंध चाहता है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में भारत के विकास ने ना सिर्फ नेपाल को प्रेरित किया है बल्कि इस बात की सीख भी दी है कि चीजें मुमकिन हैं। सप्रु हाउस वक्तव्य देते हुए सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि भारत ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर है जबकि नेपाल के विकास का दृष्टिकोण ‘समृद्ध नेपाल सुखी नेपाल’ में निहित है।
उन्होंने कहा कि दोनों समावेशी और सतत विकास प्रक्रिया से जुड़े परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है और इनका लक्ष्य है कि कोई भी पीछे ना रह जाए। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल और चीन-नेपाल संबंधों में कोई तुलना नहीं है और भारत एवं हिमालयी देश के बीच का रिश्ता ‘अनूठा’ है। प्रचंड ने अपने संबोधन में कहा, “सीमा के साथ हमारे दोनों देश क्षेत्रीय समृद्धि और बेहतर क्षेत्रीय सहयोग का सपना भी साझा करते हैं।”