काठमांडू। नेपाल में भारत सरकार के करीब 1 हजार करोड़ रुपये के निवेश से बनने वाले लोवर अरुण हाइड्रोपावर की क्षमता 474.25 मेगावाट से बढ़ाकर 669 मेगावाट की गई है। नेपाल भारत के बीच हुए समझौते के तहत इस हाइड्रोपावर का निर्माण सतलुज जलविद्युत निगम (एसजेएन) द्वारा की जाएगी, जो कि भारत सरकार का ही एक उपक्रम है। इस हाइड्रोपावर निर्माण के लिए आवश्यक वातावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) का काम भी पूरा किया जा चुका है।
सन् 2022 में स्वीकृत इस आयोजना के ईआईए में जलविद्युत् क्षमता बढ़ाने के अलावा उसके निर्माण डिजाइन में भी कई मूलभूत परिवर्तन किया गया है। ईआईए तैयार करने वाली संस्था नेपाल इनवाइरोमेंटल एंड साइंटिफिक सर्विसेज (एनइएसएस) के तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि नए निर्माण डिजाइन में बांध और जलाशय को हटा दिया गया है।
एनइएसएस की तरफ से सार्वजनिक किए गए नए निर्माण डिजाइन के मुताबिक अब इस हाइड्रोपावर में सुरंगों की लम्बाई और संख्या को बढ़ा दिया गया है। पुराने डिजाइन में रहे भूमिगत विद्युत गृह के बदले अब जमीन पर ही सतही विद्युत गृह बनाए जाने का प्रस्ताव किया गया है। 2022 में तैयार किए गए पुराने डिजाइन में 55 मीटर ऊंचा बांध बनाने का प्रस्ताव किया गया था, जिसे नए ईआईए में हटा दिया गया है।
इस हाइड्रोपावर के लिए तैयार किए गए नए प्रस्ताव में दो की जगह अब 6 सुरंग बनाए जाने की बात का उल्लेख है। सुरंग की लंबाई 12 किमी से बढ़ाकर 17.4 किमी कर दी गई है। इसके लिए पहले 161 हेक्टेयर के बदले अब 184 हेक्टेयर जमीन को अधिग्रहित किए जाने की बात उल्लेख है। निर्माण अवधि को 7 साल से घटाकर 5 साल कर दिया गया है जबकि इस पूरी परियोजना की कुल लागत 9212 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 हजार करोड़ कर दी गई है।