काठमांडो। नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भरोसा दिलाया कि नेपाल भारत के हितों के प्रति संवदेनशील है और यह अपनी सरजमीं का इस्तेमाल उसके (भारत के) खिलाफ नहीं होने देगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेपाल की दो दिवसीय यात्रा के समापन के मौके पर संवाददताओं को संबोधित करते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने आज कहा कि प्रधानमंत्री ओली का यह एक अहम बयान है और भारत चर्चा से संतुष्ट है।
गोखले ने कहा कि ओली ने दोहराया है कि भारत के हितों के प्रति नेपाल संवेदनशील रहेगा और अपनी सरजमीं का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देगा। नेपाल की 1,850 किमी लंबी सीमा सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से लगी हुई है। दोनों देशों के सीमावर्ती लोगों का पारिवारिक और लंबा सांस्कृतिक संबंध है। दोनों देशों के यात्रियों को एक दूसरे देश जाने में वीजा की जरूरत नहीं पड़ती।
गौरतलब है कि ओली के साथ एक बैठक के बाद कल संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच खुली सीमाएं मजबूत द्विपक्षीय संबंधों में एक अहम भूमिका निभाती है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक के दौरान नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने कहा कि उच्च स्तरीय यात्राओं ने दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क मजबूत किया है।
गोखले कहा कि जिन नेपाली नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की , उन्होंने भरोसा जताया कि जनकपुर और मुक्तिनाथ जैसे सांस्कृतिक स्थानों की उनकी यात्रा से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि दोनों देश सभी विषयों पर चर्चा के लिए इस साल सितंबर तक की अनौपचारिक समय सीमा पर सहमत हुए हैं। विदेश सचिव ने बताया कि दोनों नेताओं ने नेपाल में भारत की सहायता वाली विभिन्न परियोजनाओं को लागू करने पर चर्चा की।
गोखले ने कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों की दो महीने में हुई दो यात्राओं ने हमारे द्विपक्षीय संबंध को बहुत सकारात्मक और अग्रसर राह पर लाया है। वहीं, एक सवाल के जवाब में गोखले ने कहा कि दक्षेस के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई। नेपाल दक्षेस का मौजूदा अध्यक्ष है।