नई दिल्ली। हिंदुस्तान को लोकतंत्र से लेकर गणतंत्र तक की परिभाषा दुनिया को देने वाला देश माना जाता है। वैसे जब बात लोकतंत्र की होती है तो अब्राहम लिंकन का नाम भी जेहन में कौंधता है। जिन्होंने कहा था कि ‘लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता को समर्पित’ शासन होता है, लेकिन हकिकत में जब लोकतंत्र के तौर-तरिकों और उस पर अमल करने की बात आती है तो एक अलग ही परिदृश्य उभरकर सामने आता है।
वर्तमान में एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि दुनिया के सिर्फ 19 देशों में पूरी तरह से लोकतंत्र कायम है यानी चुनिंदा देशों में ही जनता का राज चलता है। इकोनॉमिक्स इंटलिजेंस यूनिट नाम की संस्था की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट की जांच-पड़ताल में लोकतंत्र के पैमाने पर चुनाव, राजनीति, संस्कृति और नागरिक अधिकारों का पूरी तरह से ख्याल रखा गया है।
यूरोप के देशों ने मारी लोकतंत्र के पैमाने पर बाजी-
रिपोर्ट में कई हैरतअंगेज बातें कही गई हैं और बताया गया है कि दुनिया के एक तिहाई लोग बगैर लोकतंत्र या एकपक्षीय सत्ता के अधीन रह रहे हैं। रिपोर्ट में 89 देशों को शामिल किया गया और सभी ने पिछले साल की तुलना में कम स्कोर प्राप्त किए हैं।
लोकतंत्र के इस पैमाने पर नार्वे ने बाजी मारी है और सबसे बेहतर लोकतांत्रिक देश का खिताब हासिल किया है, जबकि टॉप 19 में से 14 देश पश्चिम यूरोप के हैं।
हालांकि इसके बावजूद यूरोप के इस क्षेत्र में इंडेक्स 8.38 पर रहा, जबकि पिछले साल इससे बेहतर था। स्पेन पर केटेलोनिया के जनमत को ठुकराने पर दोषपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है और इसकी रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है।
साल 2017 में लोकतंत्र के पैमाने पर जोरदार प्रदर्शन गांबिया का माना गया है। इस देश में 22 साल बाद लोकतंत्र की बयार बह रही है, जिसका स्वागत किया गया है। रिपोर्ट में अमेरिका की स्थिति को भी बेहतर नहीं माना गया है और इसको भी दोषपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है।
दुनिया के 89 देशों में यह सर्वे किया गया था, लेकिन भारत शामिल नहीं था।