सारांश गुप्ता
सैन पेड्रो सुला (अमेरिका)। होंडुरस में तूफान एटा और लोटा की वजह से लोगों को बाढ़ में
डूबे और क्षतिग्रस्त मकानों को छोड़कर शिविर स्थलों में जाना पड़ा और अब यहां शरण लेने वालों की संख्या इतनी
ज्यादा हो चुकी है कि लोग पुलों के नीचे शरण लेने को मजबूर हैं। ‘इंटरनेशनल रेड क्रॉस’ ने अनुमान लगाया है कि
होंडुरस, निकारगुआ और ग्वाटेमाला में करीब 42 लाख लोग नवंबर में एक के बाद एक आए श्रेणी चार के तूफानों
के कारण प्रभावित हुए हैं और यहां हजारों लोग अनौपचारिक शिविरों में शरण लिए हुए हैं, लेकिन शिविर स्थलों में
शरण लेने वालों की संख्या सैन पेड्रो सुला में सबसे ज्यादा है। यहां के कुछ स्थान अब भी बाढ़ के पानी में डूबे हुए
हैं। यहां शरण लेने वाले लोगों का कहना है कि भले ही उन्हें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वापस लौटने की मंजूरी मिल
जाए, लेकिन जब वे वहां पहुंचेंगे तो सब कुछ तबाह हो चुका होगा। सैन पेड्रो सुला में एक शिविर स्थल की
निगरानी कर रहे ओरलैंडो एंतोनियो लिनारेस ने जल, भोजन एवं दवाइयों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यहां हर चीज
की कमी है।’’ इस शिविर में करीब 500 पीड़ितों ने शरण ले रखी है। तूफान एटा और लोटा के कारण बेघर हुए
दंपत्ति रेबेका डियाज और जोस अल्बर्टो मुरिलो दो सप्ताह से यहां शिविर स्थल में अपने पांच बच्चों के साथ शरण
लिए हुए हैं। मुरिलो ने कहा, ‘‘हम दो सप्ताह से जमीन पर सो रहे हैं। बच्चे जमीन पर सो रहे हैं। हमें भुला दिया
गया है।’’ डियाज कोरोना वायरस संक्रमण से ज्यादा अपने घर के लिए चिंतित हैं। उनका कहना है, ‘‘हमारे सिर के
ऊपर छत हो, इसका कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा।’’ वहीं तूफान पीड़ित इरमा सर्मिएंटो भी इसी तरह की चिंता
जाहिर करती हैं। उनका घर अब भी पानी में डूबा है। वह कहती हैं, ‘‘मुझे भविष्य अनिश्चित सा लगता है। हमारे
लिए कुछ बचा नहीं है। आप पूरे जीवन काम करते हैं और फिर आपके साथ यह होता है कि कुछ नहीं बचता है।
जब हम वापस जाएंगे, तो हमारे पास क्या होगा?’’ शहर में करीब 84 शिविर स्थल हैं, जहां 1,00,000 लोग
रह रहे हैं।