नई दिल्ली। पाकिस्तान से भारत के अमजेर शरीफ में ख्वाजा की दरगाह आने वाले तीर्थयात्रियों को वीजा नहीं दिए जाने पर उसने भारत पर नाराजगी जाहिर की है। 19-29 मार्च 2018 के बीच अजमेर शरीफ में हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर उर्स के अवसर पर शामिल होने के लिए 503 पाकिस्तानी तीर्थयात्री जाने वाले हैं।
जानकारी के मुताबिक, इधर नई दिल्ली ने बताया कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए और आवश्यक सुरक्षा मंजूरी के अभाव में उन्हें वीजा नहीं दिया जा सकता है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने एक बयान में कहा कि, पाकिस्तानी श्रद्धालुओं का ये दौरा ‘पाकिस्तान-भारत प्रोटोकॉल 1974’ के तहत कानूनी दायरे में आता है।
इसके तरत वार्षिक तौर पर पाक नागरिकों को भारतीय धार्मिक तीर्थस्थलों की यात्रा करने का प्रावधान है। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान भारत के द्वारा वीजा जारी न करने के इस कदम से बेहद नाराज है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि भारत के इस फैसले से पाकिस्तानी तीर्थयात्री उर्स में शामिल होने के मौके से वंचित रह जाएंगे। यह उनके लिए बेहद महत्व रखता है।
नई दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि इस तरह की यात्राओं की मदद की जाती है और कुछ जरुरी प्रक्रियाओं के बाद उन्हें वीजा प्रदान कर दी जाती है। हालांकि, समय-समय पर, इस तरह की यात्राएं अपेक्षित सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलने के कारण आगे नहीं बढ़ पाती।
पिछले उदाहरणों का दिया हवाला
पाकिस्तान की तरफ से कहा गया कि पूर्व में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जब दोनों तरफ से ऐसी यात्राएं नहीं हो पाई थी। भारत के वीजा जारी न करने के कारण 1-8 जनवरी से दिल्ली में हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के उर्स में 192 पाकिस्तानी तीर्थयात्री भाग नहीं ले सके थे।
यह भी कहा गया है कि 2017 के दौरान पाकिस्तान ने एक विशेष ट्रेन को भेजने की पेशकश की थी। मगर, इसके बावजूद, भारत की तरफ से देरी होने से गुरू अर्जुन देव की शहीदी वर्षगांठ और महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि में भाग लेने में हजारों भारतीय तीर्थयात्री असमर्थ रहे।
बयान में कहा गया कि पाकिस्तान ने 173 भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा की सभी व्यवस्था की थी। मगर, भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा आवश्यक मंजूरी नहीं मिलने के कारण नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग ने उन्हें अपने आवेदन वापस लेने को कह दिया।
बयान में आगे कहा गया कि यह एक विडंबना है कि भारत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के अवसर पर पाकिस्तानियों को वीजा जारी करने में असफल रहा, जो सदियों से दोनों देशों के समुदायों को एक साथ लाने का प्रतीक रहा है।