फिलाडेल्फिया (अमेरिका)। भारतीय-अमेरिकी मूल की लोकप्रिय रिपब्लिकन नेता निक्की
हेली ने खुलासा किया है कि डोनाल्ड ट्रंप 2016 में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद उन्हें विदेश मंत्री बनाने के
लिए बात करना चाहते थे। चुनावी अखाड़ा बने पेनसिल्वानिया के नॉरिसटाउन में ‘इंडियन वॉइसेज फॉर ट्रंप’ की ओर
से आयोजित एक कार्यक्रम में 48 वर्षीय हेली ने कहा, ‘‘मैं उस समय साउथ कैरोलाइना की गवर्नर थी, जिस
राज्य में मैं बड़ी हुई थी, मैं उसकी सेवा में लगी हुई थी और तभी 2016 में चुनाव के बाद मुझे एक फोन काल
आया।’’ उन्होंने बताया कि यह फोन कॉल रेन्स प्रीबस ने किया था। वह उस समय रिपब्लिकन नेशनल कमेटी के
अध्यक्ष थे और बाद में वह ट्रंप के पहले व्हाइट हाउस चीफ ऑफ स्टाफ बने। उन्होंने ‘इंडियन वॉइसेज फॉर ट्रंप’ की
सह अध्यक्ष डॉक्टर मेरीलीन कार्सन से बातचीत में कहा, ‘‘उन्होंने मुझसे कहा कि निर्वाचित राष्ट्रपति आपसे
मिलना चाहते हैं। इस पर मैंने पूछा-ठीक है, किस बार में? उन्होंने कहा कि वह आपसे विदेश मंत्री के संबंध में
बात करना चाहते हैं। मैंने इस पर कहा कि मैं विदेश मंत्री नहीं बन सकती हूं, मैं गवर्नर हूं। और उन्होंने कहा कि
वह आपसे बात करना चाहते हैं।’’ हेली इसके बाद ट्रंप से मिलने न्यूयॉर्क गईं। इस बैठक के बारे में हेली ने बताया
कि उन्होंने निर्वाचित राष्ट्रपति से कहा कि वह इस पद के लिए उपयुक्त नहीं होंगी लेकिन वह उनकी मदद करने
को तैयार हैं। इसके कुछ दिन बाद उन्हें फिर से प्रीबस का फोन आया और उसमें उन्होंने हेली को बताया कि ट्रंप
उन्हें संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत की पेशकश को लेकर बाद में कॉल करेंगे। हेली ने कहा कि उन्होंने इस पद
को स्वीकार करने की तीन शर्तें रखीं। उन्होंने अपनी शर्तों में कहा था कि यह पद मंत्रिमंडल स्तर का हो, राजदूत
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का सदस्य हो और वह हां में हां मिलाने वाली महिला नहीं रहेंगी। इस पर ट्रंप ने उनकी सभी
शर्तें मान लीँ। उन्होंने भारत के साथ अमेरिका के संबंधेां पर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक-
दूसरे से काफी घुले मिले हैं और ट्रंप के प्रशासन से पहले अमेरिका का संबंध कभी भी भारत के साथ इतना मजबूत
नहीं रहा था। वहीं उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा है।