टोक्यो। जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे जापान को उम्मीद है कि
वैश्विक नेता समुद्री प्लास्टिक कचरे को लेकर एक करार का समर्थन करने के साथ ही जलवायु परिवर्तन
पर समान राय रखेंगे लेकिन उसका खुद का पर्यावरणीय रिकॉर्ड निगरानी के दायरे में हैं। कार्यकर्ताओं का
कहना है कि जापान प्लास्टिक के उपयोग को कम कर पाने में काफी पीछे है और जलवायु परिवर्तन को
लेकर अपने रुख में बदलाव लाने के अमेरिकी दवाब को झेल रहा है ताकि मुद्दे पर एक जैसी राय बन
सके।
ओसाका में इस हफ्ते होने जा रहे जी 20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता जापान कर रहा है और उसने
समुद्री प्लास्टिक कचरे पर पर्यावरण मंत्रियों के साथ पहले से ही एक समझौता कर लिया है जिसे इस
हफ्ते पेश किया जाएगा। इस सौदे के तहत जी20 सदस्य देशों को प्लास्टिक कचरा कम करने के लिए
प्रतिबद्धता दिखानी होगी लेकिन इस लक्ष्य को हासिल कैसे किया जाएगा इस बारे में बहुत कम ब्यौरे
शामिल किए गए हैं। इसमें स्वैच्छिक कदमों और सालाना प्रगति रिपोर्ट देने जैसे कदमों को प्रस्तावित
किया गया है।
प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने पिछले महीने कहा था कि यह मुद्दा, जी 20 के सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों में से
एक होगा। साथ ही कहा था कि जापान, नेतृत्व की भूमिका निभाने की उम्मीद कर रहा है। पर्यावरण
कार्यकर्ताओं का हालांकि कहना है कि यह सौदा पहला कदम है वहीं वे इसे ज्यादा महत्त्वाकांक्षी बनाए
जाने का भी तर्क दे रहे हैं। अमीर एवं विकासशील राष्ट्रों को इस मुद्दे पर साथ लाने वाला यह पहला
समझौता है।