नई दिल्ली/वाशिंगटन। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां कहा कि जलवायु वित्तपोषण
चिंता का विषय बना हुआ है। सीतारमण ने वित्त पोषण तंत्र और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर भी चिंता जताई।
यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की बैठकों के समापन के बाद सीतारमण ने कहा कि यह
स्पष्ट नहीं है कि सीओपी 21 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) के मद्देजनर 100 अरब डॉलर प्रतिवर्ष की प्रतिबद्धता कैसे
जताई गई है।
सीतारमण ने कहा, ‘‘मेरी तरफ से मैंने एक यह विषय उठाया और कई लोग इस बात का संज्ञान लेते हैं कि हमें
वास्तव में यह नहीं पता कि यह आकलन करने के लिए कोई उपाय किए गए हैं या नहीं कि किसी परियोजना
विशेष पर यदि कोई धन खर्च करता है तो क्या वह उसी 100 अरब डॉलर राशि का हिस्सा होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘100 अरब डॉलर में क्या-क्या शामिल है? हम कैसे पता लगाएंगे कि वास्तव में 100 अरब डॉलर
दिए गए हैं या उसमें से कुछ राशि ही दी गई है? इसलिए 100 अरब डॉलर प्रति वर्ष आ रहे हैं या नहीं, केवल यही
मुद्दा नहीं है। एक विषय यह भी है कि हम कैसे आकलन करेंगे कि ये वास्तव में आ रहे हैं या नहीं।’’
सीतारमण ने कहा कि आईएमएफ और विश्व बैंक दोनों की बैठकों में शामिल कई प्रतिभागियों ने इस विषय को
उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए धनराशि भी कई देशों के लिए उतनी ही चिंता का विषय बनी हुई है जितनी चिंता
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘धनराशि की तरह ही क्या हमें पता है कि हम किस प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की बात कर रहे हैं?
क्या हम जानते हैं कि वो कौन सी चीजें हैं जिन पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उसकी चर्चा में विचार किया जाना
है।’’
वित्त मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि उनका यह दृष्टिकोण उनके असंतोष को नहीं झलकाता।