संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने आगाह किया है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध
वैश्विक अर्थव्यवस्था खासतौर से गरीब विकासशील देशों पर ‘‘एक आसन्न आपदा’’ पैदा कर रहा है। ये गरीब देश
खाद्य पदार्थ, ईंधन और उर्वरकों की आसमान छूती कीमतों का सामना कर रहे हैं और गेहूं के अपने खेतों पर
‘‘बमबारी’’ होते हुए देख रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि ‘‘दुनिया में सूरजमुखी के तेल की
आधी से अधिक आपूर्ति और करीब 30 फीसदी गेहूं रूस और यूक्रेन से आता है और अनाज की कीमतें पहले ही बढ़
गयी हैं।’’
उन्होंने कहा कि 45 अफ्रीकी और कम विकासशील देश अपने गेहूं का कम से कम एक तिहाई हिस्सा यूक्रेन और
रूस से मंगाते हैं और उनमें से 18 देश कम से कम 50 प्रतिशत आयात करते हैं। इन देशों में मिस्र, कांगो, बुर्किना
फासो, लेबनान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन शामिल हैं।
गुतारेस ने आगाह किया, ‘‘इस सबसे गरीबों पर सर्वाधिक मार पड़ रही है और दुनियाभर में राजनीतिक अस्थिरता
और अशांति के बीज पड़ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि सबसे अधिक कमजोर देश पहले ही कोविड-19 से उबरने की
कोशिश कर रहे हैं और रिकॉर्ड महंगाई, बढ़ती ब्याज दरें और कर्ज से जूझ रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीसले ने यूक्रेन के पश्चिमी शहर ल्वीव की यात्रा
के दौरान कहा कि एजेंसी ‘‘12.5 करोड़ लोगों को भोजन खिलाने के लिए जो अनाज खरीदती है उसका 50 फीसदी’’
यूक्रेन से आता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए इस युद्ध का वैश्विक विनाशकारी असर पड़ने जा रहा है।’’
गुतारेस ने तत्काल युद्ध बंद करने और शांति के लिए गंभीर वार्ता करने की बात दोहरायी। उन्होंने यूक्रेन में
भोजन, पानी और दवा की अहम आपूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र के आपात कोष से चार करोड़ डॉलर की अतिरिक्त
सहायता देने घोषणा की। यूक्रेन में कम से कम 19 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं और 28 लाख से अधिक लोग
यूक्रेन से अन्य देशों में भाग गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनीसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र आबादी
निधि ने कहा, ‘‘भयानक हमले मरीजों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को गंभीर चोटें पहुंचा रहे हैं और उन्हें मार
रहे हैं और अहम स्वास्थ्य बुनियादी ढांचों को नष्ट कर रहे हैं।’’