विकास गुप्ता
बीजिंग। कोविड-19 से हाल में ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी पाने वाले ज्यादातर मरीज
वायरस के लिए विभिन्न विशिष्ट एंटीबॉडी और टी कोशिकाएं पैदा करते हैं। एक अध्ययन में यह सामने आया है
जो इस घातक बीमारी के खिलाफ प्रभावी टीका बनाने में लाभदायी साबित हो सकता है। अध्ययन में 14 मरीजों
का परीक्षण किया गया जिनमें विभिन्न तरह की रोग प्रतिरोधी प्रतिक्रियाएं देखी गई। इनमें से छह के अस्पताल से
छुट्टी मिलने के बाद किए गए परीक्षण के परिणाम दिखाते हैं कि एंटीबॉडी कम से कम इतने वक्त तक बरकरार
रहे। अध्ययन यह भी दिखाता है कि वायरस का कौन सा हिस्सा इन रोग प्रतिरोधी प्रतिक्रियाओं को सक्रिय करने में
ज्यादा प्रभावी हैं। इसलिए संभावित टीकों के जरिए उन्हीं हिस्सों को लक्षित करना होगा। चीन की त्शिंगहुआ
यूनिवर्सिटी के अलावा अन्य संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि यह स्पष्ट नहीं है कि प्रतिरोधी प्रतिक्रियाओं
का स्तर अलग-अलग मरीजों में भिन्न क्यों है। उनका कहना है कि यह भिन्नता मरीज के शरीर में प्रवेश करने
वक्त वायरस की शुरुआती मात्रा से, उनकी शारीरिक स्थितियां या सूक्ष्मजीविता (माइक्रोबायोटा) से संबंधित हो
सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि अन्य खुले प्रश्न ये हैं कि क्या ये रोग प्रतिरोधी प्रतिक्रियाएं फिर से सार्स-
सीओवी-2 के संपर्क में आने पर कोविड-19 से मरीज की रक्षा करेंगी। साथ ही सवाल यह भी है कि किस प्रकार
की टी कोशिकाएं वायरस के संक्रमण से सक्रिय होती हैं। उन्होंने कहा कि यह भी गौर करना आवश्यक है कि
प्रयोगशाला परीक्षण जिनका इस्तेमाल मानव में सार्स-सीओवी-2 के प्रति एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए किया
जाता है, उनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की और पुष्टि किए जाने की जरूरत है। यह अध्ययन ‘इम्युनिटी’
पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।