वाशिंगटन। अमेरिका और रूस के बीच विवाद की एक और वजह अब काला सागर बन गया है। काला सागर में रूस की बढ़ती मौजूदगी को लेकर अमेरिका ने चिंता जताई है और रूस के दबदबे को चुनौती देते हुए अमेरिकी नौसेना ने अपनी उपस्थिति वहां पर बढ़ा दी है।
‘सीएनएन’ से बातचीत करते हुए एक अमेरिकी सेना अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। गौरतलब है कि काला सागर क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ गया है। 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया पर कब्जा के बाद रूस ने क्षेत्र में अपने सुरक्षा बलों को मजबूत किया है। हालांकि रूस के इस कदम का बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने विरोध किया।
अमेरिकी नौसेना के छठे बेड़े के एक बयान के अनुसार, समुद्री सुरक्षा अभियान के संचालन के लिए 16 फरवरी को अर्ले बर्के श्रेणी के निर्देशित मिसाइल विध्वसंक यूएसएस कार्नी ने यूएसएस रॉस को काला सागर में ज्वाइन किया है।
गौरतलब है अमेरिकी नौसेना का छठा बेड़ा इस क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना अभियानों की निगरानी करता है। पिछले साल जुलाई के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब काला सागर में दो अमेरिकी नौसेना युद्धपोत मौजूद हैं।
उधर, रूस ने रविवार को क्षेत्र में नौसेना की तैनाती का एलान किया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने अपने एक बयान में बताया कि कई अभ्यासों के लिए एक रूसी युद्धपोत एडमाइरल एसेन और दो निगरानी जहाजों ने काला सागर में प्रवेश किया है।
अमेरिकी सेना अधिकारी ने कहा कि काला सागर में कार्नी और रॉस दोनों युद्धपातों को तैनात करने का फैसला रूस को करारा जवाब देने के प्रयास के तहत किया गया है, जो पूर्वी यूरोप, काकेशस और पश्चिमी एशिया के बीच में स्थित है।