समो सिमुना हायहा…यही नाम था उस शख्स का, जिसे लोग ‘सफेद मौत’ भी कहते थे। फिनलैंड की सेना का ये स्पेशल शूटर सोवियत रूस के सैनिकों के लिए मृत्यु का दूसरा नाम था।
दरअसल, रूस-फिनलैंड की सीमाएं जहां मिलती थीं, वहां दोनों देशों के सैनिकों में इलाके पर कब्जे को लेकर अक्सर झड़प होती रहती। रूसी सैनिक अक्सर भारी पड़ते। सन् 1940 में जब सिमो को वहां तैनात किया गया तो उसने बर्फीले इलाके का फायदा उठाते हुए अनूठी युद्धशैली विकसित कर ली।
उसने बर्फ जैसे सफेद कपड़े की सिर से पांव तक ढंक देने वाली पोशाक बनवाई। चेहरे पर भी वह सफेद मास्क पहनता और बर्फ में ऐसा छुपता कि बहुत नजदीक आने पर भी किसी को पता नहीं चलता कि यहां कोई सैनिक छुपा है। उसने रायफल पर भी सफेद रंग करवा लिया और एक सफेद दूरबीन साथ रखी, ताकि रूसी सैनिकों को दूर से आता देख ले।
इतनी तैयारी के साथ वह सीमा पर तैनात हुआ और अकेला ही कहर बनकर टूट पड़ा। उसने महज 100 दिन में 505 रूसी सैनिकों को मार डाला। इस दौरान उसे गाल में महज एक गोली लगी, जिससे उसका चेहरा विकृत हो गया। बाद में उसके साहस पर फिल्में बनीं और फिनलैंड ने उसे सर्वोच्च सम्मान से नवाजा।