सिनचोन। उत्तर कोरिया के सिनचोन संग्रहालय के ‘ रिवेंज प्लेजिंग प्लेस ’ में हर मिनट पर्यटकों का झुंड पहुंचता है , जहां सरकार का यह प्रचार चलता है कि कोरियाई युद्ध में अमेरिकी सैनिकों ने 35,000 लोगों का नरसंहार किया था। ऐसे ही एक समूह में एक व्यक्ति एंपीथियेटर के सामने खड़ा है जहां दीवार पर लिखा है , ‘‘ हम अमेरिकियों को खदेड़े और राष्ट्र को एकजुट करें। ’’ लोगों की भीड़ में स्कूल , सेना , फैक्ट्री और सरकारी विभाग के लोग हैं।
भीड़ मुक्का उठाकर एक स्वर में कहती है , ‘‘ चकनाचूर करो , चकनाचूर करो , चकनाचूर करो। ’’ अमेरिका का विरोध, डेमोक्रेटिक पीपुलस रिपब्लिक ऑफ कोरिया जिसे , उत्तर कोरिया के आधिकारिक नाम से जाना जाता है , की आधारशिला है। उत्तर कोरिया कहता है कि दशकों में उसने जो परमाणु आयुध विकसित किये हैं , वे प्रतिबंध का शिकार हैं और ऐसे में उत्तर कोरिया को संभावित अमेरिकी हमले से खुद को बचाना है। इसका मतलब है कि अगले हफ्ते सिंगापुर में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच होने वाली भेंट वार्ता एक दुविधा पैदा कर सकती है : क्या दुश्मन से सुलह के चलते प्रशासन का वैधता का दावा कमजोर होगा। इस भेंटवार्ता में उत्तर कोरिया के हथियार एजेंडे में शीर्ष पर होंगे। 1950 में उत्तर कोरिया द्वारा बल प्रयोग से कोरियाई प्रायद्वीप को एकजुट करने की कोशिश को अमेरिका की अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र गठबंधन ने विफल कर दिया था। उत्तर कोरिया में अमेरिका और जापान की निंदा आम है।