नई दिल्ली। इंदु मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में शपथ ग्रहण कर ली है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके साथ ही वो ऐसी पहली महिला वकील बन गईं है जिन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग खारिज किए जाने के बाद उनके जज बनने का रास्ता साफ हो गया था।
वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा का जन्म 14 मार्च, 1956 को बेंगलुरु में हुआ था। वह सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली छठी महिला हैं। उनके पिता सुप्रीम कोर्ट में वकील थे। सुप्रीम कोर्ट में शुरू के 39 वर्षों में कोई महिला जज नहीं रहीं।
सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज
1989 में फातिमा बीबी को सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनाया गया। इसके बाद जस्टिस सुजाता मनोहर, जस्टिस रुमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना देसाई को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।
इंदु मल्होत्रा की पढ़ाई
इंदु मल्होत्रा की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के कॉर्मल कॉन्वेंट स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। फिर उन्होंने फैकल्टी ऑफ लॉ पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स किया। इसके बाद उन्होंने डीयू के मिरांडा हाउस और विवेकानंद कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस पढ़ाया। 1979 से 1982 के दौरान उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। वकालत की दुनिया में उनका प्रवेश 1983 में हुआ।
जस्टिस केएम जोसेफ की सिफारिश वापस
सरकार ने कोलेजियम की सिफारिश मानते हुए वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने को मंजूरी दे दी है। लेकिन, उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की सिफारिश पुनर्विचार के लिए वापस कर दी गई है। कोलेजियम ने इंदू मल्होत्रा और जस्टिस जोसेफ के नाम इसी साल जनवरी में सरकार को भेजे थे। कांग्रेस ने जस्टिस जोसेफ की पदोन्नति नहीं करने को मोदी सरकार की बदले की राजनीति करार दिया है।