नई दिल्ली। पाकिस्तान आज दूसरे देशों को अपनी परमाणु ताकत दिखाकर धमकाता है। भारत के खिलाफ भी वह इसी की धौंस जमाने से बाज नहीं आता। बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास मौका था कि वे पाकिस्तान को परमाणु ताकत हासिल करने से रोक लें, लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की।
यह खुलासा यूएस स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा जारी किए गए टॉप सिक्रेट दस्तावेजों से हुआ है। ये दस्तावेज 1984-85 के हैं। इनमें खुलासा हुआ है कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने पाकिस्तान के जनरल जिया-उल-हक को चिट्ठी लिखकर परमाणु प्रोग्राम रोकने की चेतावनी भी दी थी।
चिट्ठी में लिखा गया था कि किस तरह पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को ध्वस्त करने के लिए भारत उस पर हमले की तैयारी कर रहा है। अमेरिका ही नहीं, दूसरी सूपर पॉवर जैसे सोवियत यूनियन ने भी पाकिस्तान को चेताया था।
मैडम से पूछा था, पाक पर हमला कर दें
गोपनीय दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि मार्च 1982 में भारतीय सेना ने अपनी तत्कालीन प्रधानमंत्री के सामने पाकिस्तान पर हमले का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इंदिरा ने इसे तुरंत खारिज कर दिया।
मालूम हो, 1985 में भारत और पाकिस्तान के बीच इस पर सहमति बनी थी कि दोनों देश एक दूसरे के परमाणु केंद्रों पर हमला नहीं करेंगे। 1988 में इस करार पर हस्ताक्षर हुए थे। 1992 से अब तक दोनों देश हर साल की पहली जनवरी को अपने-अपने परमाणु केंद्रों की सूची एक दूसरे को सौंपते हैं।
पहली बार भारत ने बनाया था ऐसे हमले का मन
इंदिरा गांधी के इन्कार के बाद भारतीय सेना ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन इस बात का रोचक खुलासा हुआ है कि किस तरह सेना ने अपनी तैयारी पूरी कर ली थी।
सेना की प्लानिंग कठुआ न्यूक्लियर प्लांट को निशाना बनाने की थी। इसके लिए इजराइल से प्रेरणा ली गई थी, जिसने अपने लड़ाकू विमानोें से 7 जून 1981 में इराकी न्यूक्लियर रिएक्टर को ध्वस्त कर दिया था।
भारतीय सेना ने भी अपने लड़ाकू विमान तैयार कर लिए थे।