आतंक का वित्तपोषण रोकने के लिए भारत ने एफएटीएफ, संरा के बीच सहयोग की बात की

asiakhabar.com | October 10, 2019 | 4:00 pm IST

संयोग गुप्ता

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने आतंकियों और आतंकी समूहों को अन्य देशों द्वारा
प्रत्यक्ष या परोक्ष वित्त पोषण की कड़ी निंदा की है और कहा है कि इससे ही वह आतंकी गतिविधियों को
अंजाम दे पाते हैं। महासभा की छठी समिति की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में
प्रथम सचिव/कानूनी सलाहकार येड़ला उमाशंकर ने बुधवार को यह बात कही। बैठक का विषय था‘अंतराष्ट्रीय आतंकवाद को खत्म करने के उपाय’। उमाशंकर ने कहा कि आतंक के वित्तपोषण को खत्म
करने के लिए संयुक्त राष्ट्र तथा वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफटीएफए) के बीच सहयोग बढ़ाने की जरूरत
है। उन्होंने कहा, ‘‘ राज्यों की ओर से आतंक को पैदा करने वाले संसाधनों के प्रवाह को रोकने की जरूरत
है और इसके लिए लिए उपक्षेत्रीय स्तर तथा क्षेत्रीय स्तर पर सामूहिक अंत: देशीय प्रयास करने होंगे।
आतंक के वित्त पोषण से लड़ने और उसे रोकने के लिए वैश्विक मानक तय करने में एफएटीएफ की
महत्वपूर्ण भूमिका है और संयुक्त राष्ट्र को ऐसी संस्थाओं के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए। ’’ उन्होंने कहा
कि देश या उनकी मशीनरी की ओर से आतंकी समूहों या आतंकियों को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से
वित्तीय सहायता पहुंचाने की भारत कड़ी निंदा करता है। इसमें आतंकी गतिविधियों से जुड़े आपराधिक
मामलों का बचाव करना भी शामिल है। भारत की टिप्पणी उस पृष्ठभूमि में आई है जिसमें पाकिस्तान ने
संरा सुरक्षा परिषद की आतंक निरोधी समिति से अनुरोध किया था कि मुंबई आतंकी हमले के
मास्टरमाइंड हाफिज सईद को बुनियादी खर्चे के लिए वह उसके बैंक खाते से पैसा निकालने की इजाजत
दे। सईद को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी घोषित किया हुआ है। उसे आतंक के वित्त पोषण के एक मामले में
इस वर्ष 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक किसी भी देश को
आतंकी घोषित किए गए लोगों के सभी आर्थिक स्रोतों, अन्य वित्तीय संपत्तियों तथा कोषों पर रोक लगाना
होती है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *