आतंकवादियों को काली सूची में डालने के साक्ष्य-आधारित प्रस्तावों को रोकना दोहरापन : भारत

asiakhabar.com | September 6, 2023 | 5:22 pm IST

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने चीन और पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) से कहा है कि बिना कोई कारण बताए विश्व स्तर पर स्वीकृत आतंकवादियों को काली सूची में डालने के साक्ष्य-आधारित प्रस्तावों को रोकना अनुचित है और इस तरह के कदम से ”दोहरेपन की बू” आती है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को यहां कहा, ”यूएनएससी प्रतिबंध समितियों की कार्यप्रणाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रही है।”
काम करने के तरीकों पर सुरक्षा परिषद की खुली बहस में कंबोज ने कहा, ”वैश्विक स्तर पर स्वीकृत आतंकवादियों के लिए वास्तविक, साक्ष्य-आधारित सूची प्रस्तावों को बिना कोई उचित कारण बताए रोकना अनावश्यक है और जब आतंकवाद की चुनौती से निपटने में परिषद की प्रतिबद्धता की बात आती है तो दोहरेपन की बू आती है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिबंध समितियों के कामकाज के तरीकों में पारदर्शिता और सूचीबद्ध करना तथा सूची से हटाने में निष्पक्षता पर जोर दिया जाना चाहिए और यह राजनीतिक विचारों पर आधारित नहीं होना चाहिए। कंबोज की टिप्पणी चीन और उसके सदाबहार दोस्त पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में थी।
चीन ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के भारत और उसके सहयोगियों के प्रयासों में बार-बार रुकावट डाली है।
कंबोज ने रेखांकित किया कि जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए इस परिषद में सुधार होना चाहिए। उन्होंने कहा, ”हम इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रगति को अवरुद्ध करने वालों से वास्तविक सुधार की मांग पर ध्यान देने और इस परिषद को 21वीं सदी के उद्देश्य के लिए वास्तव में उपयुक्त बनाने में योगदान देने की अपील करते हैं।”
कंबोज ने कहा कि केवल सुरक्षा परिषद के कामकाज के तरीकों को ठीक करना कभी भी इसके मूलभूत दोष, इसके प्रतिनिधि चरित्र की कमी को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा, ”ग्लोबल साउथ के सदस्य देशों को परिषद के निर्णय लेने में आवाज उठाने और भूमिका से वंचित करना केवल परिषद की विश्वसनीयता को कम करता है।”
सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं – अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन – जिन्हें सामूहिक रूप से पी5 के रूप में जाना जाता है। सुरक्षा परिषद के दस निर्वाचित सदस्यों को आमतौर पर ई-10 कहा जाता है। कंबोज ने कहा कि सहायक निकायों में ई-10 की सहमति को पी5 की ओर से सम्मान दिया जानाा चाहिए।


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