न्यूयॉर्क। रात में कम समय सोने वाले लोग सचेत हो जाएं। नए अध्ययन में आगाह किया गया है कि आठ घंटे से कम समय सोने वाले लोगों को डिप्रेशन (अवसाद) का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका की बिंघमटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लोगों के सोने की अवधि और हल्की से लेकर गहरी नींद के दौरान आने वाले नकारात्मक विचारों का मूल्यांकन किया। उन्होंने पाया कि नियमित रूप से नींद की गड़बड़ी का संबंध नकारात्मक खयालों के आने से हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष कई प्रतिभागियों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला है। उन्होंने सोने के दौरान प्रतिभागियों की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं और आंखों की गतिविधियों पर नजर रखी।
शोधकर्ता मेरिडिथ कोल्स ने कहा कि इस तरह के नकारात्मक विचारों से जूझने वाले लोगों में डिप्रेशन और व्यग्रता जैसे विभिन्न प्रकार के मानसिक विकार होने का खतरा बढ़ सकता है।