अमेरिका में आर्थिक संकट गहराया, सरकार का शटडाउन शुरू

asiakhabar.com | January 20, 2018 | 4:30 pm IST

वाशिंगटन। अमेरिका में संघीय सरकार को आर्थिक मंजूरी प्रदान करने वाले विधेयक को पारित करवाने में कांग्रेस नाकाम रही है और इसके बाद देश में एक बार फिर शटडाउन शुरू हो गया है। अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह बड़ा झटका है। शटडाउन के चलते अब पूरे देश में सरकारी कामकाज पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर देश में नौकरियों का संकट पैदा होगा।

हालांकि इस शटडाउन को टालने के लिए अमेरिकी सरकार शुक्रवार को भरकस कोशिशों में जुट गई। अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने तो गुरुवार रात पारित कर दिया, लेकिन ऊपरी सदन सीनेट में इसे कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।

शुक्रवार मध्य रात्री को हुए नाटकीय घटनाक्रम में सीनेटर्स ने सरकारी फंडिंग को बढ़ाने वाले विधेयक को पास होने से रोक दिया। बिल को पास करने के लिए 100 सदस्यों की सीनेट में 60 वोटों की जरूर थी लेकिन इसे 50 वोट ही मिले। इसका कारण रिपब्लिकन और डेमोक्रेट पार्टी के बीच आखिरी वक्त में असफल हुई बातचीत को माना जा रहा है।

अमेरिकी मीडिया की खबरों के अनुसार ज्यादातर डेमोक्रेट्स इस बिल के विरोध में थे। इमीग्रेशन के मसले पर डेमोक्रेट पार्टी की मांग थी कि करीब सात लाख “ड्रीमर्स” को निर्वासन से बचाया जाए। “ड्रीमर्स” उन लोगों को कहा जाता है जो बच्चों की तरह मुख्यतः मैक्सिको और मध्य एशिया से अमेरिका आए थे और तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें अस्थायी कानूनी दर्जा प्रदान किया था। लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ड्रेमोक्रेट्स की इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं थे।

इस पर ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, “सीनेट से पारित कराने के लिए डेमोक्रेट की जरूरत है, लेकिन वे गैरकानूनी इमीग्रेशन और कमजोर सीमाएं चाहते हैं।”

इससे पहले सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाली प्रतिनिधि सभा में तो यह विधेयक आसानी से पारित हो गया, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत होने के बावजूद इसे पारित कराने के लिए विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी के समर्थन की दरकार थी। इसकी वजह यह है कि रिपब्लिकन पार्टी के तीन सीनेटर इस बिल के विरोध में हैं जबकि एक सीनेटर कैंसर के इलाज के लिए अपने घर ऐरीजोना में हैं।

बता दें कि जब भी शटडाउन होता है तो हजारों “गैर-जरूरी” संघीय कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता है, सिर्फ लोगों की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में लगे “जरूरी” कर्मी ही कार्यरत रहते हैं। 1995 के बाद से तीन बार ऐसी स्थिति आ चुकी है।


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