वॉशिंगटन। इस साल की शुरुआत में दुनियाभर के कंप्यूटर पर वानाक्राय नाम के रैनसमवेयर का हमला हुआ था।इससे लाखों कंप्यूटर प्रभावित हुए थे। अब सामने आया है कि इस साइबर अटैक के पीछे नॉर्थ कोरिया की साजिश थी।
व्हाइट हाउस के होमलैंड सुरक्षा सलाहकार टॉम बोसर्ट ने कहा कि अमेरिका का विश्वास है कि मई में हुए साइबर हमले ‘वानाक्राइ’ के पीछे उत्तर कोरिया था। उन्होंने बताया कि अमेरिका के इस दावे के लिए उसके पास साक्ष्य भी है और ब्रिटेन एवं माइक्रोसॉफ्ट भी हमले के विश्लेषण के बाद समान निष्कर्षो पर पहुंचे हैं।
सीएनएन ने जून में बताया था कि ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी को विश्वास था कि उत्तर कोरिया सरकार से संबंधित कोई समूह इस हमले के पीछे है। सीएनएन ने बॉसर्ट के हवाले से बताया कि यह हमला दुनियाभर में हुआ था और इससे करोड़ों का नुकसान हुआ था, जिसके लिए उत्तर कोरिया सीधे तौर पर जिम्मेदार है।
ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को सार्वजनिक रूप से इस बात का खुलासा किया है कि इस साल मई में 150 देशों के दो लाख 30 हजार कंप्यूटर सिस्टम पर रैनसमवेयर वानाक्राइ साइबर अटैक हुआ था। यह साइबर अटैक अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला था, जिसके पीछे नॉर्थ कोरिया के हैकर्स का हाथ था।
अमेरिका के वॉल स्ट्रीट जनरल से बातचीत के दौरान बोसर्ट ने कहा कि हम इन आरोपों को गंभीरता से ले रहे हैं, क्योंकि हमारे पास नॉर्थ कोरिया के खिलाफ पर्याप्त सबूत है।
इससे पहले जून में वॉशिंगटन पोस्ट ने खुलासा करते हुए कहा था कि इसके पिछे नॉर्थ कोरिया के हैकर्स का हाथ। इसके बाद ब्रिटेन सरकार ने भी अक्टूबर में और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने भी बाद में नॉर्थ कोरिया को इस अटैक के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
गौरतलब है कि इस साइबर हमले के बाद कंप्यूटर सिस्टम लॉक हो गए थे और उसे खोलने के लिए हैकर्स ने 300 डॉलर की फिरौती मांगी थी। फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, स्वीडन, रूस और भारत सहित दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हुए थे।