वाशिंगटन। अमेरिका और तुर्की के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं| तुर्की ईरान और रूस की तरफ मुख़ातिब होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में पश्चिमी राजनयिकों में लगातार कहा जा रहा है कि सीरियाई संकट के मामले में पड़ोसी देश तुर्की की अहम भूमिका है। ऐसी स्थिति में क्या अमेरिका और यूरोपीय देश सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तुर्की को नजरंदाज कर सकेंगे? इसका एक बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी सेनाओं के सीरिया से वापस बुलाए जाने के तुरंत बाद पुतिन ने तुर्की, ईरान और रूस के बीच शिखर वार्ता की घोषणा कर दी थी।
इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और तुर्की के राष्ट्रपति रेकेप तय्यिप एर्डोगन के बीच सितंबर में बात हुई थी। सीरियाई प्रांत इदलिब पर अभी विद्रोहियों का कब्ज़ा है। इस प्रांत में तीस लाख लोग रहते हैं। तुर्की के साथ दूरियां बढ़ने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तुर्की की जेल में बंद अपने एक अमेरिकी पादरी एंड्रयू ब्रन्सॉन की रिहाई के लिए वहां के राष्ट्रपति एर्डोगन से मांग की थी, जिसे नामंज़ूर कर दिया गया। इस पर ट्रम्प ने तुर्की से आयातित स्टील और अल्युमिनियम पर 25 प्रतिशत का आयात कर लगा दिया है। यह तुर्की को नागवार गुजरा। अमेरिका और तुर्की के बीच यह विवाद कहां तक जाएगा, राजनयिकों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।