जांच की आधुनिकतम तकनीकों की मौजूदगी के बावजूद आज भी रुटीन हेल्थ चेकअप के दौरान ज्यादातर डॉक्टर्स सबसे पहले नाखून देखते हैं। इसकी प्रमुख वजह यही है कि अपनी रंगत और आकार में बदलाव के जरिये नाखून हमें कई बीमारियों का संकेत देते हैं, जिन्हें पहचानना बहुत जरूरी है।
जरा सोचिए नाखून की हमारे शरीर में क्या अहमियत है? हमारे हाथ-पैरों की उंगलियों को सुरक्षा प्रदान करने के अलावा चीजों को पकडने, खरोंचने, छीलने और त्वचा को खुजाने (लिखने में थोडा अजीब लगता है, पर नाखून के बिना ये जरूरी काम कैसे संभव हो पाते?) के लिए हम नाखूनों पर ही निर्भर होते हैं। दरअसल नाखून कैल्शियम और केरेटिन नामक प्रोटीन से बने होते हैं। बालों और त्वचा की संरचना भी इसी तत्व से होती है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी या बीमारी होने पर केरेटिन की सतह प्रभावित होने लगती है। इससे नाखूनों की रंगत भी बदलने लगती है। इनकी बदलती रंगत और आकार कई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देते हैं। आइए जानते हैं, उनके बारे में:
पीले नाखून: हल्के पीले और कमजोर नाखून एनीमिया, हृदय रोग, कुपोषण व लिवर संबंधी गडबडियों का संकेत देते हैं। फंगल इन्फेक्शन की वजह से पूरा नाखून ही पीला हो जाता है। कई बार जॉन्डिस, थायरॉयड और डायबिटीज की स्थिति में भी ऐसा हो सकता है।
सफेद नाखून: हलके गुलाबी नाखून अच्छी सेहत की निशानी हैं, लेकिन नाखूनों का पूरी तरह सफेद होना या उन पर ऐसे धब्बे नजर आना लिवर, हृदय या आंतों की बीमारियों के लक्षण हो सकते हैं।
नीले नाखून: अगर शरीर में ऑक्सीजन का संचार सही ढंग से न हो तो नाखूनों का रंग नीला होने लगता है। सर्दियों के मौसम में ठंड की वजह से उंगलियों की रक्तवाहिका नलिकाओं सिकुड जाती हैं, जिससे नाखूनों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता और वे नीले पड जाते हैं। ऐसी समस्या को रेनाड्स कहा जाता है। फेफडे में इन्फेक्शन, निमोनिया या दिल की बीमारियों की वजह से भी ऐसा हो सकता है।
मोटे और रूखे नाखून: मोटे और खुरदरे नाखून सिरोसिस और फंगल इन्फेक्शन का संकेत देते हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता में कमी व बालों के गिरने की स्थिति में भी नाखून बेरंग और रूखे हो जाते हैं।
धारियां और दरारें: अगर नाखूनों में दिखने वाली धारियां या दरारें विटमिन सी, फॉलिक एसिड व प्रोटीन की कमी से हो सकती हैं। जिंक की कमी या आथ्र्राइटिस की स्थिति में भी ऐसा हो सकता है।
फंगल इन्फेक्शन की पहचान: फंगल इन्फेक्शन की वजह से भी नाखून सफेद या पीले रंग के दिखाई देते हैं। अधिक स्विमिंग या ज्यादा देर तक पानी से संबंधित काम करने वालों को ऐसी समस्या हो सकती है।
आसपास की त्वचा: नाखूनों के आसपास की त्वचा भी स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देती है। आयरन और विटमिन बी-12 की कमी होने पर नाखून अंदर की ओर धंस जाते हैं। विटमिन सी की कमी से नाखून कटने-फटने लगते हैं और उनके पोरों की त्वचा उखडने लगती है और उसमें बहुत दर्द भी होता है।
अंत में, यह जरूरी नहीं है कि नाखून का बदलता रंग सभी व्यक्तियों में एक ही तरह की बीमारी का संकेत हो। इसलिए ऐसा कोई भी लक्षण दिखाई देने पर अपने आप से कोई अनुमान लगाने के बजाय त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह लें।
कुछ जरूरी बातें…
-नेल्स की अच्छी ग्रोथ के लिए कैल्शियम और जिंक की जरूरत होती है। इसलिए अपनी डाइट में मिल्क प्रोडक्टस और हरी पत्तेदार सब्जियों को प्रमुखता से शामिल करें।
-हमेशा नेल पेंट न लगाएं। इससे नाखूनों की स्वाभाविक चमक फीकी पड जाती है। महीने में दो-चार दिनों के लिए नाखूनों को अच्छी तरह साफ करके यूं ही छोड देना चाहिए।
-नाखूनों के क्यूटिकल्स उन्हें फंगस और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाते हैं। इसलिए उनकी सफाई का विशेष ध्यान रखें।
-नेल्स के आसपास की त्वचा को नियमित रूप से मॉयस्चराइजर की नमी दें।
-विटमिन सी का सेवन नाखूनों के आसपास की त्वचा को कटने-फटने से रोकता है। इसके लिए नींबू, संतरा, अंगूर और अनन्नास जैसे खट्टे फलों का सेवन नियमित रूप से करें।