घर पर केवल बच्चे को फर्स्ट एड ही दी जा सकती है। बच्चे जब भी गिरते हैं तो उनकी बांहें बाहर की ओर निकल आती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गिरते समय बच्चा स्वाभाविक तौर पर हाथों से किसी चीज को पकड़ लेना चाहता है। यही वजह है कि उनकी बांहों, कोहनियों और कलाइयों में चोट आती है।
पहचानिए लक्षण…
हड्डी टूटने के साथ ही बहुत तीव्र दर्द होता है। टूटने वाले अंग को चलाना असंभव हो जाता है।
टूटे हुए स्थान पर तत्काल सूजन आने लगती है।
बाहें टूटने पर क्या करें
सबसे पहले आप बच्चे को शांत बैठा दें। बांह और सीने के बीच एक पैड बना दें। उन्हें दूसरे हाथ से टूटे हुए हाथ को सपोर्ट देने के लिए कहें। टूटी बांह को कपड़े से बांधकर गर्दन से ऐसे लटकाएं ताकि भुजा और हथेली के बीच 90 डिग्री का कोण बन जाए।
बच्चे अच्छे- बुरे नहीं होते
बच्चे मासूम होते हैं, जो नहीं जानते हैं कि अच्छा बच्चा क्या होता है और गंदा बच्चा क्या होता है। बचपन भेद नहीं जानता है, मगर माता-पिता हैं, जो भेद जानते हैं।
मासूम दिलो-दिमाग में भेद भरते हैं और अपने बच्चे को जब अच्छा बेटा, राजा बेटा की पेम में अनफिट होते देखते हैं, तो उसके सामने- बिगड़ रहा है, बिगड़कर धूल हो गया है, इतनी बार दोहराते हैं कि बच्चे भी खुद को बिगड़ा हुआ मानकर बिगड़ने की राह पर चल देता है।
फिर कई बार जब बच्चा गंदा बच्चा, बिगड़ा बच्चा घोषित हो जाता है, तो फिर गली, मोहल्ला, कॉलोनी, सोसाइटी और अंतत कानून की नजर में भी यही बच्चा बदमाश, शातिर बदमाश और जघन्य अपराधी तक बन सकता है। स्कूल परिसरों, खेल के मैदानों और बगीचों में खेलते हुए मासूम बच्चों की मुस्कानों को गौर से देखिए और इनमें तलाश कीजिए कोई भावी अपराधी। एक भी बच्चे में आपको अपराधी नहीं मिलेगा। उनके जीवन की भावी परिस्थितियां उन्हें अपराधी बना देती हैं। उन्हें मिलने वाली उपेक्षाएं, प्रताड़नाएं उन्हें अपराधी बना देती हैं।
दरअसल किशोर आयु तक का कोई बच्चा गंदा बच्चा नहीं होता है। फिर चाहे वह किसी पॉश कॉलोनी में रहने वाला बच्चा हो या फिर किसी झोपड़पट्टी में पलने वाला बच्चा हो। मगर अभिभावकों की मानसिकता मासूम बच्चों में अच्छा बच्चा और गंदा बच्चा तय कर देती है। चंचल और शरारती बच्चे दरअसल गंदे बच्चे की निशानी नहीं होते हैं। चंचलता, जिद और शरारत तो बचपन की स्वाभाविकता होती है। हमें भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की चंचलता भाती है। उनकी माखन चोरी सुहाती है और चंद्र खिलौना लेने की जिद मोहित करती है। मगर यही बात किसी मासूम में हो तो उसे गंदा बच्चा घोषित कर दिया जाता है।
कितना लंबा होगा मेरा बच्चा
पेरेंट्स बच्चे के जन्म के साथ ही उसके वजन व लंबाई को लेकर चिंतित रहते हैं। अक्सर सही जानकारी न होने के अभाव में वे डॉक्टर के पास जाकर ऐसे टॉनिक की मांग करते हैं जिससे हाइट व वेट को बढ़ाया जा सके या फिर अखबारों में विज्ञापन पढ़कर स्वयं ही उन दवाओं पर निर्भर रहते हैं जिसका कोई आधार नहीं होता है।
सामान्य बच्चे का औसत वजन व लंबाई
सबसे पहली बात जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह यह है कि बच्चे की हाइट पर पेरेंट्स का नियंत्रण एक सीमा तक ही होता है। बच्चे की हाइट 90 प्रतिशत माता-पिता की हाइट पर निर्भर करती है। यदि माता-पिता दोनों की हाइट अच्छी है तो पूरी संभावना है कि बच्चे की हाइट भी अच्छी होगी।
जन्म पर बच्चे की लंबाई 50 सेमी होती है, जोकि एक साल में 75 सेमी तक पहुंच जाती है। उसके बाद सामान्यत बच्चे की लंबाई 4-8 सेमी हर साल के हिसाब से बढ़ती है। लंबाई में यह वृद्धि किशोरावस्था तक होती है। किशोरावस्था (प्यूबर्टी) होने के साथ लंबाई तेजी से बढ़ती है, जो लड़कियों में 10 वर्ष तथा लड़कों में 12 वर्ष। सबसे पहली बात जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह यह है कि बच्चे की हाइट पर पेरेंट्स का नियंत्रण एक सीमा तक ही होता है। बच्चे की हाइट 90 प्रतिशत माता-पिता की हाइट पर निर्भर करती है। यदि माता-पिता दोनों की हाइट अच्छी है तो पूरी संभावना है कि बच्चे की हाइट भी अच्छी होगी।
कुछ सामान्य केलकुलेशन जरूर है जिससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि आपके बच्चे की हाइट बराबर बढ़ रही है कि नहीं…
क्या कर सकते हैं आप?
1.परेशान न हों, यह तथ्य जानिए कि आपके बच्चे की लंबाई पर अधिक नियंत्रण नहीं है।
2.अच्छा खानपान एवं एक्सरसाइज आपके बच्चे की मदद जरूर कर सकते हैं।
3.टॉनिक, प्रोटीन पावडर या दवाइयों से अधिक आशा न रखें। ये सिर्प उन्हीं बच्चों की मदद कर सकते हैं, जो कुपोषित या कमजोर हैं।
4.यदि फिर भी चिंतित हैं तो अपने डॉक्टर के पास जाएं एवं उनसे परामर्श लें।