सीने में दर्द संकेतों को समझें

asiakhabar.com | September 29, 2020 | 5:09 pm IST

सुरेंद्र कुमार चोपड़ा

सीने में जलन, स्ट्रोक और हार्ट अटैक के कुछ लक्षण इतने सामान्य हैं कि कई बार इनमें अंतर करना मुश्किल हो
जाता है। इस वजह से गंभीर समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। समय रहते इनके अंतर को कैसे पहचानें और क्या
उपचार करें।
सीने में असहजता, दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण एंजाइना या हार्ट अटैक से जुड़े होते हैं, लेकिन
रोजमर्रा में ऐसा एसिड इनडाइजेशन या एसिडिटी होने पर भी होता है। यही वजह है कि इन दोनों स्थितियों में भ्रम
हो जाता है और समस्या को पहचानने में लापरवाही होने की आशंका बढ़ जाती है।
खासतौर पर हार्ट अटैक की स्थिति को मामूली रिफलक्स का मामला समझने पर व्यक्ति के उपचार में गोल्डर
अवर साबित होने वाला समय नष्ट हो जाता है, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।
अच्छी बात यह है कि इस संबंध में जागरूकता बढ़ी है। सांस लेने में असहजता व बेचैनी की स्थिति में लोग तुरंत
डॉक्टर से संपर्क करने लगे हैं। हमारे शरीर में भोजन नली का हिस्सा सीने के करीब होता है, ऐसे में एसिड
रिफलक्स की तकलीफ होने पर सीने में भी असहजता और बेचैनी का अहसास होता है।
यही वजह है कि हार्ट अटैक से पीड़ित बहुत सारे लोग इसे हार्ट बर्न समझने की गलती कर बैठते हैं। कई बार
डॉक्टर के लिए भी तुरंत कुछ कहना मुश्किल होता है। कई बार अटैक माइनर होता है, जिसका पता डॉक्टरी जांच
या स्थिति बिगड़ने पर पता चलता है। यदि थोड़े समय बाद या कुछ डकारों के बाद स्थिति में सुधार होता है तो
यह समस्या के एसिड रिफलक्स से जुड़े होने का संकेत है। वैसे किसी भी सूरत में स्थिति नियंत्रित होने के बाद
डॉक्टर से संपर्क करना अच्छा रहता है।
हमारे दिल के तीन हिस्से होते हैं। एक हिस्सा मसल्स हैं, जो पम्पिंग का काम करते हैं और रक्त को शरीर के
तमाम हिस्सों में पहुंचाते हैं। दूसरा धमनियां और तीसरा नसें होती हैं। ये तीनों मिल कर एक इंजन का काम करते
हैं, जिसके लिए ईंधन होती है ऑक्सीजन।

धमनियों में ब्लॉकेज होने से रक्त प्रवाह में रुकावट आने लगती है, जिससे हृदय रोगों के लक्षण उभरने लगते हैं।
इस समस्या के मुख्य पांच कारण होते हैं-आनुवंशिक, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और तनाव।
यदि वजन सामान्य से 10 प्रतिशत भी अधिक है तो ऐसे व्यक्तियों में डायबिटीज और हार्ट अटैक की आशंका बढ़
जाती है। यदि सीने का दर्द बहुत कष्टदायी नहीं है, लेकिन आशंका है कि समस्या गंभीर हो सकती है तो लक्षणों
के शांत पड़ने का इंतजार न करें। तत्काल डॉक्टरी मदद लें।
युवाओं में हृदय रोगों की समस्या पहले से कई गुणा बढ़ गयी है। 30 पार करने के बाद एक बार हृदय जांच
कराना बेहतर रहता है। खासतौर पर यदि परिवार में पहले से किसी को यह समस्या रही है तो समय-समय पर
जांच कराएं। डॉक्टर के निर्देशानुसार जीवनशैली अपनाने से हृदय रोगों को दूर रखने में मदद मिलेगी।
क्या होता है स्ट्रोक
स्ट्रोक का संबंध मस्तिष्क से है। इसमें मस्तिष्क में होने वाली खून आपूर्ति में बाधा आती है, जिससे मस्तिष्क
काम करना बंद कर देता है। वहीं हार्ट अटैक में दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों में बाधा आती है। ब्रेन स्ट्रोक
दो तरह का होता है। यदि स्ट्रोक मस्तिष्क की रक्त धमनियों में ब्लॉकेज आने के कारण होता है तो इसे स्कीमिक
स्ट्रोक कहते हैं, वहीं रक्त वाहिकाओं के फटने से रक्तस्राव के कारण होने वाले स्ट्रोक को हैमरेजिक स्ट्रोक कहते हैं।
स्ट्रोक के कारण
मधुमेह, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, हृदय रोगों का होना, मोटापा, परिवार में स्ट्रोक का इतिहास होना
स्ट्रोक की आशंका को बढ़ाता है। यही कारण हृदय रोगों में भी देखने को मिलते हैं।
स्ट्रोक के लक्षण
चेहरे का एक तरफ लटकना या लकवा मारना
एक बाजू में कमजोरी महसूस होना, कंधे सुन्न होना
बोलने और समझने में दिक्कत होना
सुन्न होना
बेहोश होना
दृष्टि में असंतुलन होना।
जबकि हार्ट अटैक में पीड़ित व्यक्ति को छाती में दर्द व जकड़न होती है, काफी पसीना आता है और बायीं बाजू में
दर्द होता है।
कैसे होता है उपचार
प्राथमिक उपचारः मेडिकल उपचार उपलब्ध होने तक पीड़ित को सीधा लिटाएं। इससे रक्त प्रवाह सही बना रहता है।
चक्कर, बेहोशी, उल्टी या मरीज के प्रतिक्रिया नहीं देने पर उल्टी या दम घुटने की आशंका को रोकने के लिए उसे
एक करवट लिटाएं।

यदि स्ट्रोक का कारण नस फटना है तो व्यक्ति को एस्प्रिन न दें। इससे स्थिति अधिक गंभीर हो जाएगी।
यदि मरीज को चार घंटे के भीतर हॉस्पिटल पहुंचा दिया जाता है तो स्कीमिक स्ट्रोक होने पर क्लॉट बस्टिंग
इंजेक्शन दिया जाता है। इससे दिमाग की कार्य प्रक्रिया में सुधार होता है। मरीज पूरी तरह ठीक भी हो जाता है।
स्ट्रोक मैनेजमेंट में फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी व जरूरत पड़ने पर स्पीच थेरेपी महत्वपूर्ण साबित होती हैं।
सीने में जलन और हार्ट अटैक का अंतर
सीने में जलन
सीने में जलन यानी हार्ट बर्न का दिल की परेशानियों से कोई सीधा संबंध नहीं है। इस शब्द का प्रयोग तब किया
जाता है, जब किसी को एसिड इनडाइजेशन यानी खट्टी डकार या अपच की समस्या होती है। इसमें भोजन नली
प्रभावित हो जाती है।
हार्टबर्न एक सामान्य परेशानी है, जिसमें एसिड आपके पेट से ऊपर निकल कर भोजन नली में पहुंच जाता है और
सीने में दर्द का कारण बनता है। सांस लेने में भी तकलीफ होती है। सामान्य तौर पर इस स्थिति को एंटीएसिड
दवाओं से संभाला जा सकता है या खान-पान की आदत दुरुस्त करके इसे काबू किया जा सकता है।
यदि थोड़े समय बाद या कुछ डकारों के बाद स्थिति सुधर जाती है तो यह सीधा संकेत है कि सीने का यह दर्द
एसिड रिफ्लक्स के कारण है।
यदि किसी व्यक्ति को एपिगैस्ट्रिक या सीने में नीचे की तरफ इस तरह के लक्षण उभरते हैं और वे कई महीनों या
सालों से उभर रहे हैं तो यह पेट या ऐसोफेगस से जुड़ी समस्या है, जिसके लिए गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी एक्सपर्ट से
मिलना चाहिए।
सामान्य एसिडिटी या गैस की समस्या ज्यादातर अधिक भोजन करने, अनियमित समय पर भोजन करने और
व्यायाम की कमी से होती है। नियमित योग व स्वस्थ जीवनशैली ऐसी समस्याओं से निबटने का सर्वश्रेष्ठ उपाय
है।
हार्ट अटैक
दिल से जुड़ी रक्त धमनियां जब संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं तो हृदय तक रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और
यही हार्ट अटैक का कारण बनता है। हमारे पूरे शरीर के लिए आवश्यक है कि ऑक्सीजनयुक्त रक्त बिना बाधा
शरीर के सभी अंगों में पहुंचता रहे।
हार्ट अटैक के दौरान पुरुष व महिलाओं में सबसे सामान्य लक्षण सीने में जकड़न व दर्द है। इसके अलावा छाती
और बायीं बाजू में दर्द व सुन्नता होना, जबड़े और कमर में संवेदना होना, अपच, ठंडा पसीना आना व थकावट का
अनुभव होना इसके अन्य लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में बिना समय गंवाए अस्पताल जाना चाहिए।

सामान्यतः एसिडिटी या गैस संबंधी समस्या एंटीएसिड दवा लेने के 20 मिनट बाद के समय तक ठीक हो जाती है।
स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है तो बेहतर है कि चिकित्सक से संपर्क करके ईसीजी व अन्य टैस्टिंग कराएं।
भोजन नली चूंकि शरीर में हृदय के पास होती है, इसलिए हार्ट बर्न की स्थिति में आसपास के हिस्से में दर्द व
बेचैनी का अनुभव होता है। आमतौर पर यह सीने से थोड़ा नीचे केंद्र में होता है। हार्ट अटैक में यह दर्द बायीं ओर
ज्यादा तेज और जकड़न भरा होता है।
हृदय रोग की समस्या अचानक नहीं होती। रोजमर्रा की दिनचर्या में इसके कुछ-कुछ लक्षण दिखायी देते हैं, मसलन
कुछ सीढ़ियां चढ़ने पर ही थक जाना, आराम करने पर अच्छा महसूस करना और सांस फूलना। मोटापा व व्यायाम
की कमी हृदय रोगों की आशंका बढ़ा देती है।


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