सुरेंदर कुमार चोपड़ा
नींबू सर्वसुलभ बहुउपयोगी और अनूठा फल है। मूल रूप से भारतीय फल नींबू की महत्ता आज विश्व भर
में जानी जाती है। पाश्चात्य देशों में प्रचलित पेय लेमनेड नींबू से तैयार किया जाता है। यही नहीं नींबू
का उपयोग विभिन्न औषधियां बनाने में खूब किया जाता है। आयुर्वेद ने इसे एक महत्वपूर्ण फल माना
है। अम्लीय गुणों से युक्त यह अनूठा फल मानव के लिए एक अनुपम देन है। नींबू को हमारे यहां
सर्वश्रेष्ठ रोग नाशक और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले फल के रूप में प्राचीन काल से ही मान्यता
प्राप्त है। आयुर्वेद में नीबू की काफी प्रशंसा की गयी है और एक खाद्य पदार्थ के रूप में इसके उपयोग
के अलावा औषधि के रूप में भी इसके विभिन्न उपयोग बताए गये हैं।
नींबू का परिचय 12वीं सदी में पाश्चात्य देशों में हुआ। अरब व्यापारी इसे पहले स्पेन ले गये बाद में सन
1494 से नींबू स्पेन के बाजारों से यूरोपीय देशों में पहुंच गया। वे पहले नींबू को एक साधारण रसदार
खट्टा फल ही मानते थे। धीरे-धीरे जब इसके अनेक गुणों को अनुभव करके लोगों ने इसे स्वास्थ्यवर्द्धक
और स्वास्थ्यरक्षक फल पाया तो इसका महत्व अत्यधिक बढ़ गया। इसके गुणों को लेकर अनेक प्रयोग
किए गए और परिणाम सुखद आश्चर्य भरे निकले।
स्काटलैंड के जाने माने चिकित्सक जेम्स लिंड ने अपनी एक पुस्तक में रहस्योद्घाटन किया कि यदि
कोई व्यक्ति 4-5 दिन तक कच्चे फल-सब्जियां खाए तो उसमें रक्त दोष उत्पन्न हो जाएंगे। यह रक्त
दोष स्कर्वी विटामिन सी की कमी से उत्पन्न होता है। स्कर्वी पर नियंत्रण के लिए नींबू ही एक अचूक
औषधीय फल है। एक अन्य चिकित्सक डॉक्टर ब्लेन ने भी नींबू को स्कर्वी से निपटने में सक्षम पाया।
नींबू का नियमित उपयोग स्कर्वी की रोकथाम में उपयोगी सिद्ध होता है।
जुकाम में नींबू का रस लाभदायक होता है। गठिया, बुखार, पित्ताशय की पथरी घोलकर निकालने, पांडु
रोग, नया-पुराना कब्ज आदि में नींबू का औषधि के रूप में प्रयोग हमारे यहां प्राचीनकाल से ही हो रहा
है।
नींबू की हमारे यहां अच्छी पैदावार होती है। इसकी कई किस्में होती हैं जैसे कागजी विजोरा, जभौरी
आदि। साधारण नींबू छोटा होता है-आंवले के समान। कागजी नींबू का उपयोग अचार आदि बनाने में
किया जाता है। पतले छिलके वाला कागजी नींबू पर्याप्त रसयुक्त होता है। इस फल का उपयोग अमृत के
सेवन के समान होता है इसलिए नींबू को हमारे प्राचीन ग्रंथों में अमृतफल माना गया है।
नींबू का उसके औषधीय गुणों के कारण घरेलू उपचार और दवा के रूप में तो उपयोग होता ही है बरतनों,
सामान्य आभूषणों व सजावटी धातु निर्मित वस्तुओं को चमकाने और साफ करने में भी इसका खूब
इस्तेमाल किया जाता है।
नींबू के कुछ घरेलू उपयोग-
मंजन- रस निकले नींबू पानी के छिलके को इकट्ठा कर धूप में सुखा लें। कूट-पीस कर पतले कपड़े से
कम से कम 2 बार छान लें। चाहें तो थोड़ा बारीक पिसा छना नमक भी इसमें मिला लें। इस मंजन से
दांत साफ करने से दांत साफ होने के साथ मुंह व सांस की बदबू भी खत्म हो जाती है।
मुंहासों से रक्षा- डेढ़ चम्मच मलाई में चैथाई नींबू निचोड़ कर रोज मुंह पर मलने से चेहरे का रंग साफ
होता है, चेहरा कांतिमय होता है और मुहांसों से मुक्ति मिलती है। यह प्रयोग लगभग एक महीने तक
करना चाहिए।
कब्ज से रक्षा- प्रातः उठकर खाली पेट 2 गिलास पानी में एक नींबू और थोड़ा नमक डालकर पिएं। पुरानी
कब्ज हो तो ऐसा सुबह-शाम करना चाहिए। कब्ज से छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा सुपाच्य,
हलका और उचित खानपान का ध्यान भी रखना चाहिए। अधिक तले, खटाई वाले, गरिष्ठ, तेज मसाले
वाले और अधिक ठंडे पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
खट्टी डकार- अनुचित खानपान और उपयुक्त के अभाव में अपच होने से शरीर में अम्लता बढ़ जाती है
और खट्टी डकारों के रूप में सामने आती है। ऐसी स्थिति में पानी में नींबू का रस, चीनी और थोड़ा
नमक मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
उल्टी- आधे कप पानी में आधे नींबू का रस, थोड़ा जीरा और एक इलायची के दाने पीस कर मिला लें।
दो-दो घंटे बाद इसे पीने से उल्टी बंद हो जाती है।
पेट दर्द- नमक, अजवाइन, जीरा व चीनी बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसमें थोड़ा नींबू का रस
मिलाकर गर्म पानी के साथ खाने से आराम मिलता है।
दस्त- दुर्गंध युक्त पतले दस्त होने पर साधारण ठंडे दूध में नींबू निचोड़कर तुरन्त पी लें। पानी में नींबू
का रस मिलाकर दिन में 5-6 बार पिएं इससे आराम मिलेगा।
जी मिचलाना- पित्त में वृद्धि से जी मिचलाने लगता है। इसके लिए ताजे पानी में चीनी व नींबू का रस
मिलाकर पीने से लाभ होता है। सर्दी के मौसम में गुनगने पानी का प्रयोग करना चाहिए।
गला बैठना- गुनगुने पानी में नींबू का रस और थोड़ा नमक मिलाकर 2-2 घंटे बाद गरारे करें। इससे गला
ठीक हो जायेगा।
घबराहट और छाती की जलन- एक गिलास ठंडे या सादा पानी में आधा या एक नींबू निचोड़कर पीने से
आराम मिलता है।
मुंह की दुर्गंध- एक या आधा कप पानी में आधा नींबू निचोड़कर खूब कुल्ला करें। पानी को मुंह के भीतर
इधर-उधर घुमाएं। मुंह की दुर्गंध दूर होने के साथ ही इससे दांत व मसूढ़ों को भी लाभ होगा।
दांत दर्द- 2-3 लौंग पीसकर उसमें नींबू का रस मिलाएं और प्रभावित दांत या दांतों पर हल्के-हल्के उंगली
से मलें। इसी तरह खाने का सोडा मलने से भी लाभ होता है।
टांसिल या गलसुए- अनानास की फांवों पर नींबू की 2-4 बूंदें डाल कर सेवन करें।
सिर चकराना- अपच या गैस की वजह से सिर चकराए तो एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर
8-10 दिन पीने से लाभ होता है।
जोड़ों का दर्द- प्रभावित अंग पर नींबू के रस की मालिश करने व नींबू मिला पानी पीने से लाभ होता है।
तिल्ली- लाहौरी नमक (सेंधा नमक) को नींबू पर लगाकर कुछ दिन सेवन करने से लाभ होता है।
खूनी बवासीर- एक नींबू काटकर उसके दोनों भागों में थोड़ा-थोड़ा कत्था (पान में प्रयोग किया जाने वाला)
पीस कर लगाएं और रात को छत पर रख दें। सुबह दोनों टुकड़ों को चूस लें। लगभग एक सप्ताह यह
प्रयोग करें, इससे लाभ मिलेगा।
दाद- नींबू के रस पिसा नौसादर मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। कुछ ही दिन में लाभ हो जाएगा।
इस प्रकार नींबू विभिन्न रूपों में अत्यंत गुणकारी फल बन गया है। भोजन के समय कद्दूकस किए
अदरक में नींबू का रस व थोड़ा नमक डालकर थोड़ा-थोड़ा खाने से विभिन्न व्याधियों से मुक्ति मिलती
है। दाल-सब्जी में नींबू के रस का सेवन करना चाहिए। प्रचलित सिंथेटिक शीतल पेयों के स्थान पर ठंडे
नीबू पानी का सेवन निरापद और स्फूर्तिदायक होता है। सिर में नींबू के रस में थोड़ा सा पानी मिलाकर
उंगलियों के पोरों से मालिश करते हुए लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, रक्त संचार सुचारू होता
है और बालों का झड़ना रुकता है। बाद में सिर को शिकाकाई, रीठा या मुलतानी मिट्टी से धोना चाहिए।
पुराना नींबू का आचार स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पेट दर्द और अपच में गुणकारी होता है।