वैसे तो अभी बरसात का मौसम है, लेकिन जिस दिन पानी नहीं बरसता है, उस दिन गर्मी असह्य होती है। बरसाती हवा और उसके बाद गर्मी दोनों मिलकर तरह-तरह की बीमारियों को फैलाती है। सिर्फ बीमारियां ही नहीं, अनेक तरह की समस्याएं बरसात के मौसम में आया करती हैं मसलन बरसाती कीड़े-मकौड़ों से परेशानी, घरेलू उपकरणों के खराब होने की, समस्याएं, कपड़े व विस्तरों की हिफाजत की समस्याएं, सौन्दर्य को बनाये रखने की समस्याएं, खाद्यान्न व जलावन संबंधी समस्याओं को अपने साथ लेकर आता है यह बरसाती मौसम है।
समस्याएं भले ही किसी प्रकार की हों, इनसे घरेलू महिलाओं को ही जूझना पड़ता है। घर की सारी जिम्मेदारियां महिलाओं के कंघों पर हुआ करती हैं। इसी कारण सम्पूर्ण हिफाजत का दायित्व भी उन्हीं के कन्धों पर होता है। वैसे तो आने वाली सभी समस्याओं का समाधान उस समस्या के आने के बाद अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार किया ही जाता है परन्तु इसके बारे में पहले ही जानकारी हासिल कर ली जाए तो आने वाली समस्याओं के समाधान हेतु ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इन समस्याओं से प्रायः सभी गृहिणियों को रूबरू होना पड़ता है। वस्तुतः बरसात का मौसम सम्पूर्ण हिफाजत का मौसम होता है। इस मौसम की समस्याओं से त्राण पाने के लिए अपनी हिफाजत सबसे प्रमुख व सटीक तरीका हो सकता है।
कपड़े व बिस्तरों की हिफाजत
बरसात में बरसाती नमी के कारण व्यवहार में लाने वाले कपड़े सीलनयुक्त रहते हैं। छोटे बच्चे वाले घरों में रात या दिन में बिस्तार पर पेशाब कर देने के कारण वे भीग जाया करते हैं। वैसे भी नमीयुक्त वातावरण के कारण सन के बाद के कपड़े व बरसात के पानी से भीग चुके कपड़े जल्दी सूखने का नाम नहीं लेते। बिस्तर के गद्दों पर भी वातावरण की नमी का प्रभाव असर डालता है। नमीयुक्त कपड़ों की आयु भी कम हो जाती है तथा वे थोड़े से दबाव पर फटना शुरू कर देते हैं।
घरोलू उपकरणों की हिफाजत
बरसात की मौसम सिर्फ शरीर पर नहीं बल्कि प्रयोग में आनेवाले उपकरणों पर भी अपना प्रभाव डालता है। व्यवहार में लाने वाले घरेलू उपकरण जैसे चूल्हा, हीटर, टी.वी., फ्रिज, वॉशिंग मशीन, पंखे आदि भी बरसाती हवा के नमी के प्रभाव से तथा टपकने वाले या छींट पड़ने वाले पानी के प्रभाव में आकर खराब हो जाते हैं। कभी-कभी तो बरसात के पानी के प्रभाव में आकर बिजली का करंट पूरे घर में फैल जाया करता है। लूज कनेक्शन, अनियमित व अव्यस्थित कनेक्शन के कारण भी बिजली के करंट से खतरा बना रहता है।
सौन्दर्य की हिफाजत
नारियों का जन्मजात अधिकार है अपने शारीरिक, मानसिक आकर्षण व रंग-रूप को बनाये रखने का। बरसात के मौसम में आने वाली तरह-तरह की परेशानियों व नमीयुक्त हवाओं के कारण सौन्दर्य पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। लगाने वाले क्रीम, पाडर, तेल, लिपस्टिक, सिन्दूर आदि को नमीयुक्त बरसाती हवा अपने प्रभाव में ले लेती है और प्रयोगित प्रसाधनों में भी नमी आकर उसमें बिखराव का काम करती है। इस वजह से सुन्दर चेहरों पर प्रसाधन में प्रयोगित वस्तुएं कही ज्यादा बिखर जाती हैं तो कहीं कम। इससे चेहरे का आकर्षण कम व भद्दा हो जाता है।
स्वास्थ्य की हिफजात
बरसात में सबसे अधिक समस्याएं स्वास्थ्य संबंधी ही होती हैं। गर्मी और नमी के बार-बार परिवर्तन स्वरूप अनेक बीमारियां इस मौसम में आ जाती हैं। बुखार, सर्दी-खांसी, खुजली, पेट संबंधी बीमारी, फेफड़े से संबंधित बीमारियां, कै-दस्त, पीलिया, मैनंजाइटिस, इनसेफ्लाइटिस, मलेरिया, फ्लू आदि अनेकानेक बीमारियों के होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। बच्चों को बरसात के पानी में भीगने या नहाने से रोकना चाहिए। इस मौसम में लहसुन, अदरक व मधु का नियमित रूप से सेवन किया जाना चाहिए। खान-पान पर आवश्यक ध्यान देते हुए ऐसी वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए जिससे पेट संबंधी बीमारियों को पनपने का मौका मिले। ठण्डी व बासी वस्तुओं के प्रयोग के साथ-साथ सड़े-गले फल व सब्जियों का प्रयोग भी अहितकार होता है। मांस (मीट) या मछली का अधिक प्रयोग भा हानिकारक होता है। स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहकर मामूली सर्दी-खांसी को भी मामूली समझकर उसकी उपेक्षा हानिकारक हो सकती है। बरसात का मौसम वस्तुतः सम्पूर्ण हिफाजत का मौसम होता है। इसमें थोड़ी सावधानी व सतर्कता बरतने पर घर, परिवार, उपकरण व स्वास्थ्य-सौन्दर्य को बनाये रखा जा सकता है। हिफाजत की अवहेलना अनेकानेक परेशानियों को उत्पन्न कर सकती है।