जगे रहने की स्थिति में हमारे मस्तिष्क में बीटा तरंगों की आवृत्ति होती रहती है। साउंड टूल्स हमारे मस्तिष्क के अल्फा और थेटा तरंगों तक गहराई में पहुंचते हैं। तरंगों की आवृत्तियां हमारे मस्तिष्क को ध्यान और शांति की स्थिति में पहुंचाती हैं। सोचने-समझने की क्षमता और बेहतर होती है। साउंड एनर्जी मेडिसिन का एक प्रकार है जो स्ट्रेस डिसऑर्डर, डिप्रेशन और कई अन्य परेशानियों से राहत दिलाने का काम करती है।
कैसे काम करती है यह ध्वनि
इसमें प्राचीन इंस्ट्रूमेंट्स, जिसमें तिब्बती बाउल शामिल है उस पर चोट की जाती है और एक खास रिदम तरंगित ध्वनि निकाली जाती है। जिसमें आउम और ओम का स्वर होता है। बाउल से निकलने वाली ये ध्वनियां मस्तिष्क के तरंगों के साथ व्यवस्थित हो जाती हैं। समान रूप से एक स्वर में निकलने वाली ये ध्वनियां श्वसन, मस्तिष्क और धड़कनों से जुड़ी परेशानी को दूर करने का काम करती हैं।
ये मिलते हैं लाभ
कई रोगियों को इससे दर्द में राहत मिलती है, तनाव और उससे जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं। कीमोथैरेपी, दर्द को कम करने और फाइब्रोमाइलेजिया से होने वाली असहजता, क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम और डिप्रेशन में हीलिंग का आंतरिक हिस्सा है। इस थैरेपी को करवाने के बाद रोगी को स्मृति में सुधार, स्पष्टता महसूस होती है। थैरेपी करवाने के कई दिनों बाद तक रोगी को अच्छी नींद आती है और शांति का अहसास होता है।
इस प्रकार करते हैं थैरेपी
थैरेपी को पूरे कपड़ों में जमीन पर मैट बिछाकर किया जाता है। बाउल्स को शरीर के आस-पास चारों ओर, सिर और ऊर्जा के केंद्र चक्रों पर रखा जाता है। रोगियों को बिना बटन या जिप वाले आरामदायक कपड़े पहनने और ज्वैलरी नहीं पहनने को कहा जाता है। सेशन खत्म होने के बाद रोगी को रिफ्रेशिंग ड्रिंक भी पिलाई जाती है।
इन परेशानियों में मिल सकती है राहत
अल्जाइमर्सः रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जिन बच्चों और वयस्कों में लर्निंग प्रॉब्लम्स होती है उन्हें भी इस टेक्नीक से राहत मिलती है। साउंड का प्रयोग अल्जाइमर्स और ऑटिज्म में भी किया जाता है।
ब्रीदिंग: तनाव, घबराहट और एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के कारण शरीर ओवररिएक्ट करता है, जिससे ब्रीदिंग या सांस लेने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में साउंड थैरेपी फायदेमंद साबित हो सकती है। यह मस्तिष्क को शांत करने का काम करती है।