पांडा सिंड्रोम बीमारी कम उम्र के बच्चों में देखने को मिलती है। ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर यानी की OCD या स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण होने के बाद अचानक से दोनों के लक्षण दिखाई देने पर पांडा सिंड्रोम हो सकता है। वहीं एक स्ट्रेप संक्रमण होने के बाद अचानक से ओसीडी या टिक के लक्षण दिखने की स्थिति में भी पांडा सिंड्रोम हो सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के मुताबिक पीडियाट्रिक ऑटोइम्यून न्यूरोसाइकैट्रिक डिसऑर्डर एसोसिएटिड विद स्ट्रप्टोकोकल इंफेक्शन को पांडा सिंड्रोम कहते हैं।
बच्चों को ज्यादा खतरा
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अधिकतर पांडा सिंड्रोम के लक्षण 3 से 12 साल के बच्चों में देखने को मिलते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो जन्म के दौरान लड़कियों की अपेक्षा यह लड़को में ज्यादा होता है। वहीं कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि किशोरों या वयस्कों में स्ट्रेप संक्रमण से मानसिक या न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखना असामान्य है। इसके अलावा कई रिसर्चों में यह भी सामने आया है कि पांडा सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है।
पांडा सिंड्रोम के लक्षण
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हर बच्चे में पांडा सिंड्रोम के अलग-अलग लक्षण भी पाए जा सकते हैं। पांडा सिंड्रोम के लक्षण किसी बच्चे में अचानक से भी शुरू हो सकते हैं। कई बार ऐसा लगता है इसके लक्षण सिर्फ कुछ दिनों या हफ्तों तक रहते हैं। लेकिन एक बार खत्म होने के बाद यह लक्षण दोबारा भी लौट आते हैं। इस दौरान पीड़ित में टेंशन, तनाव, बिस्तर गीला करना, सोने में परेशानी, खाने में अरुचि, मूड या व्यक्तित्व में चेंजेस आना, गुस्सा करना, फिजूलखर्ची और अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) के लक्षण दिखाई देते हैं।
न्यूरोलॉजिकल लक्षण
पांडा सिंड्रोम के न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में हाथ से लिखने में समस्या होना, स्कूल में खराब परफॉर्मेंस, को-ऑर्डिनेशन में प्रॉब्लम, मोटर स्किल (मांसपेशियों की गति) में परिवर्तन, ध्यान केंद्रित करने या सीखने में कठिनाई होना और रोशनी व ध्वनि के प्रति संवेदनशील होना शामिल है।
क्यों होता है पांडा सिंड्रोम
जब आपके बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली बैक्टीरिया से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करने लगती है,तब स्ट्रेप संक्रमण होता है। हालांकि एंटीबॉडी गलती से अन्य ऊतकों में स्वस्थ कोशिकाओं पर भी हमला कर उन्हें प्रभावित कर सकती हैं। क्योंकि यह कोशिकाएं स्ट्रेप संक्रमण की नकल करती हैं। वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि आपके बच्चे के मस्तिष्क में ऊतकों को भी एंटीबॉडी प्रभावित कर सकते हैं।