कब्ज एक ऐसी आम समस्या है, जिसके बारे में बात करते हुए हम हिचकते हैं। आधुनिक जीवनशैली व खान-पान की गलत आदतों के कारण यह समस्या बच्चों और युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। लंबे समय तक इसकी उपेक्षा दर्द के साथ-साथ कई शारीरिक समस्याओं का कारण भी बन सकती है। इस असुविधा से कैसे पाएं राहत, बता रहे हैं हम…
बुढ़ापे में सताने वाली कब्ज की बीमारी अब युवाओं की भी परेशानी बन गयी है, जिसकी बड़ी वजह है अस्त-व्यस्त जीवनशैली और खान-पान की अनियमितता। ज्ञात आंकड़ों के मुताबिक शहरों में रहने वाली आबादी में से 14ः कब्ज की गंभीर समस्या से पीड़ित है, जिनमें छोटे व बड़े सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। हालांकि कब्ज की समस्या उम्र के साथ बढ़ती है, पर ज्यादातर मामलों में बहुत अधिक मांसाहार करना, अधिक तला-भुना व जंक फूड खाना और तरल पदार्थों की कमी कब्ज का कारण बनते हैं। यही वजह है कि 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
क्या है कब्ज?
अदीवा हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. निर्मल कुमार कहते हैं, कब्ज का होना या न होना व्यक्ति के शरीर व खान-पान पर निर्भर करता है। सामान्य रूप से कुछ लोग दिन में दो से तीन बार मल त्यागते हैं तो कुछ एक बार। यहां तक कि कुछ लोगों में हर रोज मल त्याग न करना भी सामान्य स्थिति है। पर कब्ज की स्थिति तब आती है, जब व्यक्ति अपने सामान्य रुटीन को छोड़ कर अधिक दिन तक मल त्याग नहीं करता। पूरे सप्ताह में एक बार भी मल त्याग न करना कब्ज की गंभीरता को बताता है। दो सप्ताह तक यह स्थिति बने रहने पर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। दर्द के अलावा कब्ज का रहना कई अन्य विकार भी उत्पन्न कर सकता है।
कब्ज के कारण होने वाले रोग
कब्ज की लंबे समय तक उपेक्षा करना बवासीर, बादी, अल्सर तथा भगंदर का कारण बनता है। ज्यादा समय तक कब्ज रहने से मल सख्त हो जाता है, जो बवासीर की समस्या को बढ़ाता है, जिससे मल बाहर निकलते समय खून निकलने लगता है। गंभीर रूप से कब्ज पीड़ित रहने वालों में स्ट्रोक व खून के थक्के जमने के मामले भी बढ़ जाते हैं।
कब्ज का उपचार
एक अध्ययन के मुताबिक कब्ज से पीड़ित 80 प्रतिशत लोग समस्या गंभीर होने पर उपचार के लिए जाते हैं। कब्ज कई तरह से ठीक किया जा सकता है, जिनमें एलोपैथी व आयुर्वेदिक दवाएं, संतुलित आहार, योग व व्यायाम तथा खान-पान में सुधार प्रमुख हैं।
आयुर्वेदिक उपचार
दिल्ली सरकार में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमृत कलसी बताती हैं कि शरीर में वात की मात्रा बढ़ने पर कब्ज की शिकायत होती है, जिसका मुख्य कारण है खान-पान की गलत आदतें। आयुर्वेद में कब्ज के प्रभावी उपचार हैं। हर रोज त्रिफला का सेवन करें। रात में चम्मच भर त्रिफला चूर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लें। इसके अलावा ईसबगोल की भूसी गर्म पानी के साथ लेने से भी राहत मिलती है। आयुर्वेदिक दवा हर्बोलेक्स की दो गोलियां, गंधर्व हरीतकी चूर्ण आधा से एक चम्मच और विरेचन चूर्ण आधा से एक चम्मच लेना कब्ज में राहत देता है।
संतुलित आहार
फिटनेस एवं न्यूट्रिशन एक्सपर्ट किरण साहनी बताती हैं, सही डाइट कब्ज का सबसे बढ़िया उपचार है। फलों का नियमित सेवन करना जरूरी है। डाइट में अमरूद, पपीता, अनार, आम, अंजीर, नाशपाती और संतरा आदि को शामिल करना चाहिए। कब्ज गंभीर होने पर रोज सुबह पानी में भिगोई हुई अंजीर व किशमिश और रात में मुनक्का खाने से आराम मिलता है।
-पालक में फाइबर की प्रचुरता होती है। कब्ज पीड़ितों को नियमित एक गिलास पालक का रस पीना चाहिए। हरी सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए तथा अधिक मसालेदार खाने से बचना चाहिए। मैदा, ब्रेड और चावल की जगह गेहूं, आटा, जौ आदि अनाज खाने चाहिए।
-रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद को एक गिलास पानी के साथ मिला कर नियमित रूप से पीने से भी कब्ज में आराम मिलता है। इन कारणों से हो सकता है कब्ज रसौली (आंत में गांठ): रसौली या आंत में किसी तरह की रुकावट आने के कारण कब्ज हो सकता है। यदि दर्द है तो डॉक्टरी परामर्श लें। इस स्थिति में ऑपरेशन भी करना पड़ता है।
दर्द निवारक दवाएं: नरकोटिस, एनलजेसिक आदि दर्द निवारक दवाओं का लंबे समय तक उपयोग कब्ज बढ़ाता है। यदि दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।
मधुमेह: मधुमेह पीड़ितों का हाजमा अक्सर खराब रहता है, जिससे कब्ज हो सकता है। अधिक शुगर की वजह से बाउल मूवमेंट धीमा हो जाता है, जिससे कब्ज होता है।
थाइरॉएड: थाइरॉएड के कारण मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे आंत में मल धीमी गति से आगे बढ़ता है।
डिप्रेशन: मानसिक तनाव और डिप्रेशन की स्थिति में शरीर कम सक्रिय हो जाता है। बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में रहने की वजह से भी कब्ज होता है। डिप्रेशन के कारण शरीर की सक्रियता घट जाती है और खानपान में अनियमितता होती है। ऐसे लोगों को संतुलित डाइट लेनी चाहिए।
प्रेग्नेंसी: प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन प्रोजेस्ट्रॉन बाउल की मांसपेशियों को आराम देता है, जिससे बाउल मूवमेंट धीमा हो जाता है। गर्भाशय का आकार बढ़ने से भी आंतों पर दबाव पड़ता है।
खानपान की गलत आदतें: नियमित भोजन न करना, संतुलित आहार की जगह रिफाइंड व प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन, अधिक तला-भुना व मसालेदार खाना और भोजन में फाइबर की कमी से कब्ज होने की आशंका बढ़ जाती है।
इनके अलावा इन कारणों से भी होता है कब्ज…
-पार्किन्सन व लकवे के रोगियों में भी कब्ज की शिकायत अधिक देखने को मिलती है।
-टॉयलेट की जरूरत महसूस होने पर तमाम वजह से टालते रहना कब्ज करता है।
-धूम्रपान, तंबाकू व नशीली दवाओं का अधिक सेवन भी कब्ज बढ़ाता है। जरूरत से ज्यादा कोल्ड ड्रिंक या एल्कोहल लेना कब्ज करता है।
-भूख से काफी कम और भोजन को चबा-चबा कर न खाना भी कब्ज बढ़ाता है।
नियमित करें योग व व्यायाम:- कब्ज पीड़ितों को नियमित 30 मिनट का व्यायाम करना चाहिए। शुरुआत हफ्ते में 3 दिन 20 मिनट व्यायाम करने से करें। कब्ज के लिए पैदल चलना, दौड़ना, भागना, तैराकी, रस्सी कूदना, डांस आदि भी कारगर साबित होते हैं। यदि आप व्यायाम के लिए समय नहीं निकाल पाते तो अपनी रोजमर्रा की आदतों में सुधार लाएं, जैसे लिफ्ट की जगह सीढ़ी का इस्तेमाल करें, बच्चों के साथ आउटडोर गेम्स खेलें, दिन भर में तीन बार कम से कम 10 मिनट पैदल चलें।
प्राणा योगा से योग विशेषज्ञ दीपक झा बताते हैं कि कब्ज दूर करने में योगासन प्रक्रिया कारगर साबित होती है। नियमित योगासन करने से बाउल मूवमेंट को सामान्य रखने में मदद मिलती है। कब्ज की स्थिति में ये व्यायाम करें…
मयूरासन: यह पाचन प्रणाली को दुरुस्त करता है। हानिकारक खान-पान के प्रभाव को खत्म करके मल त्याग प्रक्रिया को सरल बना देता है। इस आसन से कब्ज की पुरानी समस्या भी दूर हो जाती है।
अर्धमत्स्येन्द्रासन: यह आसन पाचन ग्रन्थि, यकृत, तिल्ली, गुर्दे, पेट तथा मलाशय की संपूर्ण प्रक्रिया को संतुलित रखता है।
पवनमुक्तासन: यह आसन शरीर में एकत्रित गैस को निकालने में मदद करता है, जो कब्ज के मरीज को होने वाली एक बड़ी समस्या है। इस आसन से पाचन प्रणाली दुरुस्त होती है।
बद्घाकोनासन: इस आसन से पाचन प्रणाली में सुधार होता है, गैस निकलती है, पेट का दर्द, पेट का फूलना आदि पेट से संबंधित सभी रोग दूर हो जाते हैं। कब्ज की समस्या नहीं होती।