दिल अब लोगों की जीवनलीला समाप्त करने का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। आखिर क्या हैं इसके कारण
और इनसे बचाव के लिए क्या-क्या करना जरूरी है…
आधुनिक सुख-सुविधाओं ने हमारी शारीरिक सक्रियता कम कर हमें आराम तलब बना दिया है। इससे भारत में
हृदय रोग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। देश में होने वाली कुल मृत्यु में से एक-तिहाई दिल की बीमारियों की वजह
से होती है। दिल की बीमारियों से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। एक अनुमान है कि 2020
तक विश्व में हृदय रोग मृत्यु का सबसे बड़ा कारण होगा।
पानी की कमी न हो जाए
शोध कहता है कि पानी की कमी भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। कृत्रिम हार्ट वॉल्व लगवा चुके अथवा
एंजियोप्लास्टी करवाने वाले जिन लोगों के शरीर में धातु निर्मित स्टेंट लगा होता है, उनके लिए शरीर में पानी की
कमी हार्ट अटैक का बड़ा कारण बन सकती है। पानी की कमी के चलते रक्त गाढ़ा होकर हृदय के स्नायुओं से
चिपकने लगता है, जिससे स्टेंट में रुकावट आ सकती है। खासतौर से यह उन मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक
होता है, जिनके हृदय में हाल ही में स्टेंट डाला गया हो।
कितना घातक है एनीमिया
एनीमिया एक सामान्य और पूरी तरह ठीक होने वाली समस्या है, लेकिन अगर समय रहते इसका उपचार न किया
जाए तो यह जीवन के लिए घातक जटिलताएं पैदा कर सकता है। जब लाल रक्त कणिकाओं की संख्या कम हो
जाती है, तब पूरे शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए हृदय को ज्यादा रक्त पंप करना पड़ता है। अगर
हृदय इतनी मेहनत करेगा तो उसकी धड़कन बढ़ जाएगी और इससे एक गंभीर अवस्था लेफ्ट वेंट्रीक्युलर हाइपरट्रॉफी
(एलवीएच) हो जाएगी, जिसमें हृदय की मांसपेशियों का आकार बढ़ जाता है। इससे हार्ट फेल होने या लाल रक्त
कणिकाओं के जल्दी नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है।
कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण जरूरी
35 से 55 वर्ष के स्वस्थ युवाओं में अगर कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से थोड़ा-सा भी अधिक होता है तो हृदय
रोगों का खतरा बढ़ जाता है। अगर एक दशक तक शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होता है तो हृदय रोग की
आशंका 39 प्रतिशत बढ़ जाती है। आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा से आपकी रक्त वाहिनियों में वसीय
पदार्थ जम जाता है जो आपके हृदय, मस्तिष्क और शरीर तक रक्त के प्रवाह को अवरुद्घ करता है। इससे
धमनियां इतनी बीमार हो जाती हैं कि हृदय में दर्द होने लगता है, जिसे एन्जाइना कहते हैं। इससे हार्ट अटैक आ
जाता है।
दिल को बीमार होने से बचाएं
सही खाएं
सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट का सेवन कम-से-कम करें। लाल मांस को डाइट चार्ट में से निकालें, फल-सब्जियों की
मात्रा बढ़ा लें।
सही तेल चुनें
पकाने के लिए सरसों, जैतून या मूंगफली का तेल ठीक रहता है। सोयाबीन का तेल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाला होता है।
तलने के बाद उस तेल का दोबारा इस्तेमाल न करें।
नियंत्रित रखें वजन
अपनी उम्र और लंबाई के हिसाब से अपना आदर्श भार पता लगाएं और उस भार को पाने और फिर बनाए रखने के
लिए मेहनत करें।
तनावमुक्त रहें
तनाव के कारण ब्लड प्रेशर और ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन करें।
उच्च रक्तचाप से बचें
रक्तचाप को नियंत्रित रखकर हार्ट अटैक से बचा जा सकता है।
छाती में बेचैनी तो नहीं…
छाती में बेचैनी और भारीपन महसूस होने को हल्कें में न लें।
छाती में दर्द के साथ अगर सांस फूले तो यह खतरे का संकेत है।
वैसे पसीना आना कोई बीमारी या बुरी बात नहीं है, लेकिन अगर आप बेतहाशा पसीना आने से पीडित हैं तो डॉक्टर
से संपर्क करें।
चक्कर आने को सिर्फ थकान या कमजोरी न मानें। अच्छा खाने और भरपूर सोने के बाद भी थकान महसूस हो तो
इसे हल्के में न लें। धमनियां ब्लॉक होने से भी यह समस्या हो जाती है।
बांहों का सुन हो जाना हृदय रोग का संकेत हो सकता है।
मिथ और तथ्य
मिथः विटामिन्स के सप्लीमेंट्स का सेवन हृदय रोगों की आशंका को कम कर सकता है।
तथ्यः एंटी ऑक्सीडेंट विटामिन ई, सी और बीटा कैरोटिन हृदय रोगों की आशंका को कम कर देते हैं, लेकिन
इनका अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इन्हें प्राकृतिक रूप में लें।
मिथः कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवा खाने के बाद कुछ भी खा सकते हैं।
तथ्यः अगर आप अधिक मात्रा में सैचुरेटेट फैट और कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन खाएंगे तो यह दवा भी प्रभावकारी नहीं
होगी।