सुरेंद्र कुमार चोपड़ा
पिछले कुछ सालों से बाजार में सोया उत्पादों की भरमार है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह एक सुपरफूड है, जो
दिल और हड्डियों के लिए फायदेमंद है। खासतौर पर शाकाहारियों के लिए यह वनस्पति से मिलने वाला संपूर्ण
प्रोटीन है। लेकिन इसके इस्तेमाल से जुड़ी कुछ बातें हैं, जिन्हें जानना जरूरी है। सोयाबीन के फायदे और नुकसान
बता रहे हैं हम…
सेहत की दुनिया में सोयाबीन एक सुपरफूड बन गया है। इस समय दुनियाभर में सोयाबीन के विविध उत्पाद देखने
को मिल रहे हैं। प्रोटीन का अच्छा स्रोत होने के कारण सोयाबीन कैलोरी की मात्रा को तो नियंत्रित रखता ही है,
शरीर को पोषण भी देता है। यही कारण है कि खान-पान में सोयाबीन का दूध, सोयाबीन चाप, आटा, बड़ियां, टोफू
(सोया पनीर), सोया सॉस आदि का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है।
प्रोटीन है सबसे ज्यादा
सोयाबीन में जितने आवश्यक अमीनो अम्ल पाए जाते हैं, उतने किसी वनस्पति उत्पाद में नहीं पाए जाते। इसी
कारण सोयाबीन को शाकाहारियों का मांसाहार भी कहा जाता है। वैसे वसायुक्त प्रोटीन स्रोत के मुकाबले सोयाबीन
प्रोटीन का सबसे बेहतर स्रोत है। प्रतिदिन पचास ग्राम सोयाबीन का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3
प्रतिशत तक कम हो जाता है। हाल के अनुसंधानों में स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं कि सोयाबीन में पाया जाने वाला
प्रोटीन शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को उसी तरह कम करता है, जिस तरह कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली औषधियां
करती हैं। इसके अलावा इसमें मैग्नीज, फॉस्फोरस, कॉपर, आयरन, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, फाइबर, मैग्नीशियम
और पोटैशियम के साथ ही विटामिन बी12 भी होता है।
सोयाबीन के लाभ…
दिल के रोगों से बचावः सोयाबीन में कोलेस्ट्रॉल और वसा की मात्रा काफी कम होती है, इसलिए इसे हृदय रोगियों
के लिए अच्छा माना जाता है। यूरोप में हुए एक शोध के अनुसार आइसोफ्लेवोन धमनियों में रक्त संचार को सही
करता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाता है। शोध के अनुसार प्रतिदिन दो गिलास सोयाबीन का दूध
पीने से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 25 फीसदी कमी आ जाती है।
प्रोस्टेट कैंसर से बचावः सोयाबीन में मौजूद आइसोफ्लेवोन्स प्रोस्टेट में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।
मजबूत हड्डियांः कम उम्र से इसका सेवन हड्डियों को मजबूत बनाता है। साथ ही हड्डियों से जुड़ी समस्याएं कम
होती हैं।
मधुमेह की रोकथामः सोयाबीन का सेवन करने वालों के शरीर में ग्लूकोज का स्तर सामान्य रहता है। इसमें मौजूद
फाइबर ब्लड ग्लूकोज को कम करने में सहायता करते हैं।
रात में पसीना आनाः मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं में रात को अचानक गर्मी लगने और पसीना आने की
समस्या काफी कम हो जाती है। नियमित इसका सेवन करने वाली महिलाओं में रात में पसीना आने की समस्या
कम होती है।
पाचन तंत्र को रखे दुरुस्तः सोयाबीन में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसका सेवन पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता
है। गेहूं से जिन्हें एलर्जी है, वे इसके आटे का इस्तेमाल कर सकते हैं। आंतों के लिए भी सोयाबीन अच्छा रहता है।
कितनी मात्रा सही?
किसी भी अन्य आहार की तरह सोया का अत्यधिक सेवन नुकसान करता है। हालांकि इसके प्रचार में इसके अधिक
सेवन पर जोर दिया जाता है। सोयाबीन में फायटिक एसिड अधिक होता है, जो आंत में कैल्शियम, मैग्नीशियम,
कॉपर, आयरन और विशेषकर जिंक के अवशोषण को रोक देता है। यही वजह है कि इसे ज्यादा खाने वालों में दूसरे
मिनरल्स की कमी की आशंका बढ़ जाती है। अधिक मात्रा में सोयाबीन खाने से शरीर में आयोडीन की मात्रा कम हो
जाती है और थायरॉइड ग्लैंड पर सूजन आ जाती है, जिससे उसकी कार्यप्रणाली धीमी हो जाती है। थकान और
अवसाद होता है। इसलिए सोयाबीन अधिक खाने वालों को अधिक आयोडीन खाने की सलाह दी जाती है।
खाएं कम मात्रा में…
-गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में इसे अधिक खाने से जी मिचलाने व चक्कर आने की समस्या
होती है।
-अगर इसे खाने से पेट फूलना व उसमें खिंचाव आने की समस्या होती है, तो इसे कम कर दें।
-यूरिक एसिड अधिक है तो इसे कम खाएं।
-गठिया व हाइपर थायरॉएडिज्म के रोगियों को भी इसे कम खाने की सलाह दी जाती है।
-सोयाबीन में फायटोएस्ट्रोजन्स होते हैं, जो पुरुषों में इसके अधिक सेवन से टेस्टेस्टेरॉन के असंतुलन को बढ़ाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टूडेज डाइटिशियंसमें छपी रिपोर्ट के अनुसार सोया प्रोटीन में आइसोफ्लैवोन्स पाया जाता है, जो
महिलाओं में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन के समान होता है। इसलिए गर्भवती या कि माहवारी की समस्याओं से
जूझ रही महिलाओं को सोयाबीन को अपने आहार में शामिल करने से पहले विशेषज्ञों की राय लेना बेहतर होगा।