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सुमन नेगी
मूत्र पर संयम न रख पाना, अक्सर अधिक उम्र के लोगों की समस्या मानी जाती है लेकिन अब युवा पीढ़ी,
विशेषकर कम उम्र की महिलाएं भी इस समस्या से पीड़ित होने लगी हैं। शहर के मूत्र रोग विशेषज्ञों ने बताया कि
इस समस्या के बढ़ने का मुख्य कारण मोटापा, धूम्रपान, मधुमेह और मूत्र मार्ग में संक्रमण जैसी जीवन शैली से
जुड़ी कुछ समस्याएं हैं।
मुत्र पर संयम न रख पाने की समस्या के विकसित और प्रभावी इलाज उपलब्ध होने के बावजूद, लोग अचानक
मूत्र त्याग करने की इच्छा, बार-बार मूत्र त्याग करना और इससे संबंधित रिसाव जैसे मूत्र के मुद्दों के बारे में बात
करने में संकोच करते हैं। अति सक्रिय मूत्राशय (ओवर एक्टिव ब्लाडर: ओएबी) वाले कई मरीजों को कभी-कभी
शर्मनाक स्थिति से उबरने में लंबा समय लग जाता है।
सर गंगा राम हास्पीटल के वरिष्ठ यूरोलाॅजिस्ट डाॅ. डा. सुधीर चड्ढा कहते हैं कि जिन लागों की बार- बार बाथरूम
जाना दैनिक दिनचर्या में शामिल है और जब वे यात्रा कर रहे हों तो वे बाथरूम की ही तलाश कर रहे हों, वैसे
लोगों को मूत्र पर संयम न रख पाने की अपनी समस्या पर काबू पाने के लिए कई चीजें करनी होंगी।
मैक्स हास्पीटल के यूरोलाॅजी विभाग के निदेशक डाॅ. पीबी सिंग ने कहा कि जो महिलाएं एक दिन में आठ या इससे
अधिक बार और रात में दो से अधिक बार मूत्र रिसाव या बगैर रिसाव के मूत्र त्याग करती है, इस समूह का
हिस्सा होती हैं। महिलाएं अक्सर शर्मिंदगी के कारण और इस गलत धारणा के कारण यह अधिक उम्र की एक
स्वाभाविक समस्या है, या यह उम्मीद कर कि यह समस्या अपने आप ठीक हो जाएगी, इस समस्या के बारे में
किसी को नहीं बताती हैं।
महिलाओं को यह जानकारी होना बहुत जरूरी है कि उनके मूत्राशय पर और उनकी जिंदगी पर नियंत्रण पाने में
उनकी मदद करने के लिए कई कारगर दवाइयों और इलाज के विकल्प उपलब्ध हैं। ओवर एक्टिव ब्लाडर (ओएबी)
की समस्या उम्र के साथ बढ़ती जाती है और महिलाओं में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बढ़ने के साथ यह समस्या
बढ़ती जाती है। ओवर एक्टिव ब्लाडर (ओएबी) वैसी स्थिति है जिसमें रोगी को तुरंत मूत्र त्यागने की इच्छा होने
लगती है, बार-बार मूत्र त्यागने की इच्छा होती है और बाथरूम पहुंचने के पहले ही मूत्र का रिसाव हो सकता है।