सुरेंद्र कुमार चोपड़ा
पेप्टिक अल्सर के कारण कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। जानिए, अल्सर से संबंधित कुछ जरूरी बातों के बारे
में। पेप्टिक अल्सर पेट की अंदरूनी सतह पर बनने वाले छाले होते हैं। समय पर इलाज न मिलने पर ये छाले
जख्म में बदल जाते हैं। इसके बाद मरीज को कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं।
पेप्टिक अल्सर या गैस्ट्रिक अल्सर अमाशय या छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में होता है। यह तब बनता है, जब
भोजन पचाने वाला अम्ल अमाशय या आंत की दीवारों को नुकसान पहुंचाने लगता है। पेप्टिक अल्सर पेट या
ड्यूडिनल में होता है। यह दो प्रकार का होता है, पहला गैस्ट्रिक अल्सर और दूसरा ड्यूडिनल अल्सर। अल्सर होने
पर पेट दर्द, जलन, उल्टी और उसके साथ ब्लीडिंग होने लगती है। कुछ समय बाद अल्सर के पकने पर यह फट
भी जाता है। इसे परफॉरेशन कहते हैं।
अल्सर होने के कारण:- खानपान की गलत आदतों और उसके कारण बनने वाला एसिड इस बीमारी को अधिक बढ़ा
देता है। अनियमित दिनचर्या, खानपान की गलत आदतें और उसकी वजह से बनने वाला एसिड अल्सर की प्रमुख
वजह है।
कई पेनकिलर्स और दवाओं की वजह से भी यह बीमारी हो जाती है। इसके अलावा तनाव भी अल्सर का बड़ा कारण
है, क्योंकि इससे एसिड ज्यादा बनता है। सिर्फ खानपान और पेट में एसिड बनने से पेप्टिक अल्सर नहीं होते,
बल्कि हेलिकोबैक्टर पायलोरी बैक्टीरिया भी इसका एक कारण है। इसके अलावा धूम्रपान भी अल्सर के खतरे को
बढ़ा देता है। गैस्ट्रिक अल्सर में खाने के बाद पेट में दर्द होने लगता है। वहीं ड्यूडिनल अल्सर में खाली पेट रहने
से दर्द होता है और भोजन करते ही दर्द ठीक हो जाता है।
अल्सर के लक्षण:- पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द होना अल्सर का पहला लक्षण हो सकता है। भोजन के बाद जब
पेट में दर्द हो और डाइजिन जैसी एंटी-एसिड दवाओं से राहत मिले, तो इसे गैस्ट्रिक अल्सर का लक्षण माना जाता
है।
ड्यूडिनल अल्सर में खाली पेट दर्द होता है और भोजन के बाद दर्द से राहत मिलती है। पेप्टिक अल्सर होने से
मरीज को भूख कम लगती है। इसके अलावा पेट में दर्द, जलन, उल्टी या मिचली आती है। कई बार उल्टियों में
खून भी आने लगता है। अल्सर के पकने पर काले रंग का मल होने लगता है।
अल्सर का इलाज:- पेप्टिक अल्सर में एसिड कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। मरीज को ये दवाएं डॉक्टर द्वारा
बताए गए परहेज के साथ लेनी चाहिए।
अल्सर बढ़ने पर ऑपरेशन ही एकमात्र समाधान है। अगर यह अल्सर कैंसर में तब्दील हो गया है, तो मरीज की
कीमोथैरेपी की जाती है। अगर समय पर उपचार न हो तो अल्सर, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का रूप ले सकता
है। जिसके चलते मौत हो सकती है।
इसके अलावा कई घरेलू उपाय भी हैं, जिन्हें अपनाकर फायदा मिलता है। लेकिन, डॉक्टरी परामर्श सबसे जरूरी है।
मिर्च-मसालेदार एवं गरिष्ठ खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। खाना आराम से और समय पर खाएं। अल्सर होने के
बाद चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स, जंक फूड एकदम छोड़ दें। स्मोकिंग से परहेज करें। इसके अलावा तनावमुक्त रहने
की कोशिश करें तथा व्यायाम को जिंदगी का हिस्सा बनाएं। दर्द या बुखार होने पर ज्यादा दवाओं का सेवन न करें।
डॉक्टरों की क्या हैं राय:-
फरीदाबाद फोर्टिस अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि अनियमित लाइफस्टाइल का असर
अक्सर बीमारियों के रूप में सामने आता है। ऐसी ही एक खतरनाक बीमारी है अल्सर। गलत खानपान और गैस्ट्रिक
समस्या के कारण होने वाली इस बीमारी को गंभीरता से लें।
पेप्टिक अल्सर से कैंसर का खतरा नहीं होता, लेकिन गैस्ट्रिक अल्सर से कैंसर हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि
समय रहते इसका इलाज करा लिया जाए। जल्दी पता चलने पर एसिड की दवाओं से इसे ठीक कर दिया जाता है।
अल्सर के पकने पर ऑपरेशन कर दिया जाता है। लेकिन, कैंसर बनने के बाद कीमोथैरेपी से ही इलाज संभव हो
पाता है। खानपान का ध्यान रखना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि पेट खाली न रहे। दर्द निवारक दवाओं का सेवन
डॉक्टरी सलाह पर ही करें। छोटी-छोटी चीजों के लिए खुद से दवा लेने की आदत छोड़ दें।