Buddha Purnima 2019 : इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा पर बन रहा है बेहद शुभ संयोग

asiakhabar.com | May 17, 2019 | 5:03 pm IST
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सनातन धर्म में ज्योतिष गणना, शुभ मुहूर्त और विशेष दिन जैसे पूर्णिमा और अमावस्या का विशेष
ध्यान दिया जाता है। वैशाख मास की पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा को एक साथ मनाए जाने की परंपरा है।
इस बार 18 मई की वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा पर बड़ा ही शुभ संयोग बन रहा है। महात्‍मा
बुद्ध के रूप में इस दिन भगवान विष्‍णु के 9वें अवतार हुए थे। इस वजह से बुद्ध पूर्णिमा का
पौराणिक महत्‍व भी माना जाता है। ज्‍योतिष की दृष्टि से इस साल बुद्ध पूर्णिमा को और भी शुभ
माना जा रहा है। इस दिन स्वामी देव गुरु बृहस्पति व नवग्रहों के राजा सूर्यदेव आमने-सामने रहेंगे। इस
कारण सूर्य व गुरु का समसप्तक राजयोग बनेगा। समसप्तक राजयोग बनने से इस दिन सभी कार्यों में
स्थायित्व के साथ उन्नति से भरपूर रहेगा। आइए जानते हैं क्‍या है समसप्‍त‍क राजयोग और बुद्ध
पूर्णिमा पर क्‍या करना होता है शुभ…
क्‍या है समसप्‍तक राजयोग?
इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन समसप्‍तक योग बनने से यह दिन और भी मंगलकारी माना जा रहा है।
समसप्‍तक योग में शुभ कार्यों के स्वामी देवगुरु बृहस्पति व नवग्रहों के राजा सूर्यदेव आमने-सामने
रहेंगे। इन दोनों के आमने-सामने होने से समसप्तक राजयोग बनेगा। समसप्तक राजयोग होने के कारण
18 मई को सभी कार्यों में स्थायित्व के साथ उन्नति होगी। इस शुभ अवसर पर भूमि, भवन और वाहन
की खरीद के साथ ही पदभार ग्रहण करना बहुत ही शुभ माना जाता है। नए काम की शुरुआत के लिए
भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
स्‍नान का भी महत्‍व
वैशाख पूर्णिमा पर गंगा में स्‍नान का भी महत्‍व बताया गया है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा घाट पर
स्नान करने से कई तरह के पाप से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति व्याप्त होती है। इस दिन
देश के कई स्‍थानों धार्मिक आयोजनों के साथ मेला भी लगता है।
वैशाख पूर्णिमा पर करें ये कार्य
बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा और सिद्ध विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। एक
मान्‍यता है के अनुसार भगवान कृष्‍ण के परममित्र और बचपन के सखा सुदामा जब उनसे मिलने
द्वारिका पहुंचे थे तो श्रीकृष्‍ण ने उन्‍हें वैशाख पूर्णिमा के व्रत व विधान को बताया था। दिन भर
उपवास रखकर शाम को पूजा करने से विशेष फल मिलता है।
ऐसे करें भगवान विष्‍णु की पूजा
इस दिन शास्‍त्रीय पद्धति से भगवान विष्‍णु की पूजा करने का महत्‍व बताया गया है। सुगंधित
पदार्थों से श्री हरि का पूजन और भोग लगाना चाहिए। वहीं इस दिन अन्‍न का दान करने का भी विशेष

महत्‍व बताया गया है। इस दिन गरीबों की मदद के साथ किसी गरीब कन्‍या के विवाह में भी सहायता
करने से पुण्‍य की प्राप्ति होती है।
हिंदू और बौद्ध धर्म के लिए महत्‍वपूर्ण
हिंदू धर्म को मानने वाले जहां इस दिन पूर्णिमा का व्रत व उपवास करते हैं। तो दूसरी ओर बौद्ध धर्म के
अनुयायी इस दिन महात्मा बुद्ध की जयन्ती मनाते हैं। इस कारण से दोनों समुदायों के लिए यह दिन
बहुत विशेष होता है। इस दिन भगवान बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस दिन
महापरिनिर्वाण समारोह भी मनाया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी खास बातें
502 साल पहले बना था ऐसा दुर्लभ संयोग
बुद्ध पूर्णिमा पर ऐसा दुर्लभ योग 502 साल पहले 16 मई 1517 में बना था। उस समय भी मंगल-राहु
की युति मिथुन में थी और शनि-केतु की युति धनु राशि में थी। इस संयोग में ही बुद्ध पूर्णिमा का पर्व
मनाया गया था। आगे ऐसा संयोग 205 वर्ष बाद 2 जून 2224 को बनेगा।
ग्रहों के दुर्लभ संयोग का ऐसा होगा असर
बुद्ध पूर्णिमा पर बन रहे दुर्लभ योगों के असर की वजह से मंहगाई में बढ़ोतरी होगी। पूर्णिमा पर
विशाखा नक्षत्र रहेगा, इसका स्वामी गुरु है। नवांश में भी शनि की दृष्टि सूर्य पर होगी, इससे विश्व के
किसी हिस्से में भूकंपन के योग भी बन रहे हैं। अन्य प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं।
इस दिन क्या-क्या कर सकते हैं
पूर्णिमा तिथि का 18 मई की सुबह 4.10 बजे से शुरू हो रही है। ये तिथि रात को 2.41 बजे तक रहेगी।
इस पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा भी कहा जाता है। प्राचीन समय में भगवान बुद्ध का जन्म इसी तिथि
पर हुआ था। इसीलिए इसे बुद्ध पूर्णीमा कहते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण किया
था। वैशाख मास के स्नान भी इसी दिन से समाप्त हो जाएंगे। पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करना
चाहिए। स्नान के बाद गरीबों को धन का दान करें। व्रत करें। इस तिथि पर भगवान सत्यनारायण की
कथा भी करनी चाहिए। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं, चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। ऊँ नम:
शिवाय मंत्र का जाप करें।
प्रेरक प्रसंग : शिष्य ने गौतम बुद्ध से पूछा कि आप एक ही बात को तीन बार क्यों समझाते हैं?
भगवान बुद्ध हर बात को तीन बार समझाते थे। एक दिन आनंद ने बुद्ध से पूछा कि आप एक ही बात
को तीन बार क्यों बोलते हैं? बुद्ध ने कहा कि आज के प्रवचन में संन्यासियों के अलावा एक वेश्या और

एक चोर भी आया था। कल सुबह तुम इन तीनों संन्यासी, वेश्या और चोर से पूछना कि कल सभा में
बुद्ध ने जो आखिरी वचन कहे उनसे वो क्या समझे?
अगले दिन सुबह होते ही आनंद ने जो पहला संन्यासी दिखा उससे पूछा कि कल रात तथागत ने जो
आखिरी वचन कहे थे कि अपना-अपना काम करो, उन शब्दों से आपने क्या समझा? संन्यासी बोला कि
हमारा दैनिक कर्म है कि ध्यान करना है, हमें ध्यान ही करना चाहिए। आनंद को उससे इसी उत्तर की
अपेक्षा थी। अब वो नगर की ओर तेजी से चल दिया।
आनंद उस चोर के घर पहुंचा, जो बुद्ध के प्रवचन में आया था। चोर से भी आनंद ने वही सवाल पूछा।
चोर ने कहा कि मेरा काम तो चोरी करना है। कल रात मैंने इतना तगड़ा हाथ मारा कि अब मुझे चोरी
नहीं करनी पड़ेगी। आनंद को बड़ा आश्चर्य हुआ और वो वहां से वेश्या के घर की तरफ चल दिया।
वेश्या के घर पहुंचते ही आनंद ने वही सवाल पूछा। वेश्या ने कहा कि मेरा काम तो नाचना गाना है। कल
भी मैंने वही किया। आनंद आश्चर्यचकित हो कर वहां से लौट गया। आनंद ने पूरी बात बुद्ध को बताई।
बुद्ध बोले कि इस संसार में जितने प्राणी हैं, उतने ही दिमाग हैं। बात तो एक ही होती है, लेकिन हर
आदमी अपनी समझ के हिसाब से उसके मतलब निकाल लेता है। इसका कोई उपाय नहीं है। ये सृष्टि ही
ऐसी है।


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