-सनत जैन-
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 88 मिनट का संबोधन दिया। इस संबोधन में उन्होंने कहा, कि अगले साल भी वह लाल किले से देश को संबोधित करेंगे। मोदी ने अपने संबोधन में 5 सालों का एजेंडा सेट करते हुए, 2047 और 1000 वर्ष तक का आगामी प्लान,लाल किले की प्राचीर से भारत की जनता को बता दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, कि अब वहां पर शांति स्थापित हो रही है।उन्होंने मणिपुर की जनता से शांति का रास्ता अपनाने की अपील की। 3 महीने बाद प्रधानमंत्री ने शांति की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से जो संबोधन दिया है।उसको लेकर देश भर में तरह-तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। विपक्ष और सोशल मीडिया में कहा जा रहा है, कि 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री को चुनाव का आगाज नहीं करना चाहिए था। यह दिन देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करने और देश के विकास, लोगों की आर्थिक और सामाजिक उन्नति के बारे में संबोधन होता है। 1947 के बाद से सभी प्रधानमंत्री स्वतंत्रता, एकता, अखंडता और लोकतंत्र को लेकर संबोधित करते रहे हैं। उसमें राजनीति की नहीं,राष्ट्रहित की बातें हुआ करती थी। प्रधानमंत्री मोदी ने जो कुछ भी कहा, वह आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया। जिसके कारण स्वतंत्रता दिवस का यह संबोधन विवादित हो गया है। 15 अगस्त 26 जनवरी ऐसे 2 राष्ट्रीय त्योहार हैं।जिनमें देश की स्वतंत्रता, एकता,अखंडता, सामाजिक सद्भाव, आर्थिक प्रगति और विकास कार्यों को लेकर सरकार की उपलब्धियों पर बातें होती रही हैं। इस बार का संबोधन विपक्षियों पर हमला करने और चुनाव के लिए सीधे-सीधे मतदाताओं से वोट मांगने के लिए, लाल किले से किया गया है। जिसके कारण लाल किले से किया गया संबोधन विवादों में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना, कि वह 2024 में लाल किले की प्राचीर से झंडा वंदन करेंगे। यह कहकर उन्होंने आलोचकों को यह कहने का मौका दे दिया है, कि वह लोकतंत्र पर विश्वास नहीं करते हैं। जनता 5 साल के लिए अपना प्रतिनिधि चुनती है।जिस राजनीतिक दल को बहुमत मिलता है। वही अपना नेता चुनता है। वही प्रधानमंत्री बनता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं को, 2024 का स्वयंभू प्रधानमंत्री घोषित कर दिया है। इसको लेकर देश भर के राजनीतिक दलों में घमासान छिड़ गया है। विपक्ष के राजनैतिक दल महंगाई और बेरोजगारी को लेकर लगातार वर्तमान सरकार पर प्रहार कर रहे हैं। मणिपुर की घटनाओं को लेकर भी विपक्ष ने संसद सत्र के दौरान काफी हंगामा मचाया। अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महंगाई के लिए कोरोना संकट को जिम्मेदार ठहरा दिया है। वहीं महंगाई के लिए आयातित सामान, महंगा आने के कारण महंगाई बढ़ने का कारण बताया। गैस सिलेंडर,सब्जियों के दाम, टमाटर, पेट्रोल-डीजल और दालों की महंगाई को लेकर, उन्होंने आयात को प्रमुख कारण बताते हुए सरकार का बचाव किया। हिंसक घटनाओं का ठीकरा उन्होंने विपक्ष के ऊपर फोड़ दिया। असंतुलित विकास और तुष्टिकरण भ्रष्टाचार और परिवारवाद को लेकर उन्होंने जमकर विपक्ष पर निशाना साधा। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता 5 साल के लिए अपने प्रतिनिधि को चुनती है। हर 5 साल में सरकार जनता के पास जाकर अपनी उपलब्धि बताकर समर्थन मांगती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, 15 अगस्त 2024 मे लाल किले से झंडा फहराने की जो बात कही है, उसका अर्थ है कि वह प्रधानमंत्री बनेंगे। जनता उनको ही चुनेगी, उनकी पार्टी भी उन्हें नेता चुनेगी। यह उनका आत्मविश्वास है या लोकतांत्रिक व्यवस्था को नकारने जैसा है।इसको लेकर विपक्ष के हमले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तेज हो गए हैं। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने चुनावी मंच की तरह लाल किले की प्राचीर से चुनाव का शंखनाद कर अगला प्रधानमंत्री होने का दावा किया है। जिसके कारण वह एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के निशाने में आ गए हैं।